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उत्तराखंड

किसी पर बाघ ने किया हमला…तो किसी ने जान जोखिम में डालकर बचाई साथी की जान, जानिए पूरी कहानी

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा का पहला जिम्मा जिनके कंधों पर है अपनी सुरक्षा के लिए उनके पास सिर्फ एक लकड़ी के डंडा ही होता है। अनुभव के सहारे जंगलों के पग-पग जंगल की कहानी, बीट वॉचरों की जुबानी… 

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा का पहला जिम्मा जिनके कंधों पर है अपनी सुरक्षा के लिए उनके पास सिर्फ एक लकड़ी के डंडा ही होता है। अनुभव के सहारे जंगलों के पग-पग जंगल की कहानी, बीट वॉचरों की जुबानी से वाकिफ येबीट वॉचर वन्य जीवों को तो शिकारियों से बचा लेते हैं लेकिन कई बार इन्हीं जंगली जानवरों के शिकार भी हो जाते हैं। क्योंकि उस बेजुबान को पता नहीं होता है, जिनकी वह जान ले रहा है वह उनकी जान के हिमायती हैं। इन बीट वॉचरों के पास जंगल के किस्सों का ऐसा पिटारा है, जो खुलता है तो रोमांच की ऐसी अनुभूति होती है कि उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल होता है। फिर भी इन किस्सों में से कुछ को बयां करने की कोशिश कर रहे हैं

हरिदत्त बताते है बाघ ने जब उन पर हमला किया, तब उन्हें नहीं लग रहा था कि वह बच पाएंगे। ईश्वर की कृपा, साथियों की मेहरबानी और वन विभाग के अधिकारियों की बदौलत उनकी जान बच गई। हाल ही में कॉर्बेट पार्क में जंगल सफारी के लिए आए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने उनके काम को सराहा और सम्मानित कर प्रोत्साहित किया।

हरिदत्त पोखरियाल को लोग टाइगर नाम से भी जानते हैं। दरअसल एक बार जंगल में जब वह गश्त कर रहे तो झड़ियों में छिपे बैठे एक बाघ ने उन पर हमला बोला और उन्हें बुरी तरह लहूलुहान कर दिया। साथियों के चीख- पुकार सुनकर बाध घने जंगल में ओझल हो गया। लहूलुहान हालत में हरिदत्त को अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों की अथक मेहनत से इनकी जान बची। तब से उन्हें उनके साथी टाइगर के नाम से बुलाते हैं।

-12 अक्तूबर 2005 की शाम को उन पर मोहान क्षेत्र में बाघ ने हमला किया था। वाघ से करीव दो मिनट तक जिंदगी को लिए जद्दोजहद की। इसी बीच अन्य साथियों ने शोर मचाया तो बाघ जंगल में चला गया। बाघ के हमले से पेट की आंते बाहर निकल गई थी और कूल्हे की हड्डी टूट गई थी। लंबे समय तक इलाज के बाद वह ठीक हुए और वर्तमान में कॉर्बेट पार्क के सर्पदुली रेंज में तैनात हैं।

जगदीश कुमार: कॉर्बेट पार्क के बिजरानी रेंज में तैनात बीट वॉचर जगदीश पर बाघ ने हमला किया था। बीट वॉचर के अनुसार 8 जून 2020 को चोरपानी बीट कंपाट संख्या 11 में हाथी गणना का कार्य चल रहा था। हाथी गणना के दौरान झाड़ियों से निकलकर बाघ ने हमला कर दिया। तभी वन दरोगा नवीन चंद्र पपनै ने अपनी राइफल से फायर झोंका, जिसकी आवाज सुनकर बाघ मौके से भाग गया। इसके बाद वन कर्मियों की टीम ने बीट वॉचर को अस्पताल पहुंचाया और उसकी जान बचाई।

गोपाल सिंह अधिकारी: कॉर्बेट पार्क के बिजरानी रेंज के वन दरोगा नवीन चंद्र पपनै ने बताया कि 26 अगस्त 2020 को कंपाट नंबर 8 चोरपानी बीट में नौ लोग गश्त कर रहे थे। गश्त में बीट वॉचर गोपाल सिंह अधिकारी भी शामिल थे और वहां नौ लोगों की गश्त में पांचवें नंबर पर थे। बाप ने बीट वॉचर गोपाल सिंह अधिकारी पर हमला कर दिया। बाघ के हमले करते ही फायर झोंककर बोट वॉचर की जान बचाई गई। उपचार के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी। गोपाल सिंह अधिकारी बाघ से बहादुरी से लड़े और बाघ को पीछे जाना पड़ा।

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