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उत्तराखंड

 पीएचडी करने वालों के लिए खास खबर…विवि का बड़ा फैसला, हटाए ये दो प्रोग्राम

अगर आप हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध अशासकीय कॉलेज से पीएचडी करना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए खास है। विवि की ओर से इन कॉलेज से इतिहास और बॉटनी (वनस्पति विज्ञान) विषय के पीएचडी प्रोग्राम को हटा दिया गया है। इतना ही नहीं अन्य विषयों की सीटों को भी विवि की ओर से कम किया गया है।

साल 2019 के आंकड़ों से नजर डाले तो विवि की ओर से अशासकीय कॉलेज से लगातार पीएचडी प्रोग्राम की सीटें घटाई जा रही हैं। लेकिन शैक्षणिक सत्र 2023-24 में तो विवि की ओर से इतिहास और बॉटनी विषय के पीएचडी प्रोग्राम ही हटा दिया हैं। ऐसे में इन कॉलेज से पीएचडी प्रोग्राम करने वाले अभ्यर्थियों को श्रीनगर या फिर निजी विवि की दौड़ लगानी होगी। शैक्षणिक सत्र 2022-23 में 16 अलग-अगल विषयों के लिए इन कॉलेज में कुल 68 सीटें थीं, जो इस साल दो विषय हटाने के बाद 62 रह गई हैं।

पत्र लिखने के बाद वाणिज्य में मिली पांच सीटें
इस साल विवि की ओर से डीएवी पीजी कॉलेज में वाणिज्य विषय के पीएचडी प्रोग्राम को भी हटाया गया था। ऐसे में विभागाध्यक्ष की ओर से एक मार्च को कुलपति को पत्र लिख बताया गया कि कॉलेज में वाणिज्य विषय में पीएचडी की 15 सीटें उपलब्ध हैं और बीते दो शैक्षणिक सत्र में विवि की ओर से पांच-पांच सीटें दी गई थी। इस पत्र के जवाब में 18 मार्च को विवि के प्रवेश परीक्षा समन्वयक की ओर से जारी पत्र में कॉलेज को इस सत्र में भी पांच सीटें उपलब्ध करा दी गई हैं।

31 मार्च को होगी पीएचडी की प्रवेश परीक्षा

इस साल के पीएचडी प्रोग्राम के लिए विवि की ओर से जारी सूचना विवरणिका के अनुसार 31 मार्च को पीएचडी प्रोग्राम की प्रवेश परीक्षा होगी। इसके लिए विवि की ओर से श्रीनगर, बादशाहीथौल टिहरी, देहरादून और नई टिहरी में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं।

अशासकीय कॉलेज में शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए उपलब्ध सीटें

कॉलेज में आधे से ज्यादा काम में सहयोग करते हैं पीएचडी अभ्यर्थी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की गाइडलाइन के तहत पीएचडी करने वाले अभ्यर्थी अपने संबंधित कॉलेज में परीक्षाएं कराने के साथ उत्तर पुस्तिका जांचने तक में सहयोग करते हैं। इसका सीधा फायदा कॉलेज को नैक ग्रेडिंग पर मिलता है। इतना ही नहीं यह अभ्यर्थी परीक्षा के नंबर भी वेबसाइट पर अपलोड करते हैं।

विवि की ओर से किसी भी विषय को हटाया या उसकी सीटें कम नहीं की जाती। विषय के विभागाध्यक्ष से सीटों और प्रोफेसर की उपलब्धता की जानकारी लेने के बाद ही कॉलेज को सीटें उपलब्ध कराई जाती हैं।

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