एसटीएफ ने तैयार की 300 से ज्यादा नशा तस्करों की कुंडली, कार्रवाई की तैयारी, कई होंगे गिरफ्तार
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तस्करों की संपत्तियों को जब्त करने के लिए रिपोर्ट तैयार की जा रही है। एसटीएफ जल्द बड़े पैमाने पर कार्रवाई की तैयारी में है।
एसटीएफ ने प्रदेश और बाहरी राज्यों के 300 से ज्यादा नशा तस्करों की कुंडली तैयार की है। ये तस्कर दो या उससे ज्यादा बार नशा तस्करी में गिरफ्तार हो चुके हैं। कानूनी प्रावधानों के अनुसार इन तस्करों की संपत्तियां जब्त करने की कार्रवाई भी शुरू होने जा रही है। इसके साथ ही इनमें से कई को पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के तहत भी जेलों में निरुद्ध किया जा सकता है। इन तस्करों में कुछ बाहरी राज्यों के बड़े तस्करों का नाम भी शामिल है।
बता दें कि उत्तराखंड में वर्ष 2022 में नशे के खिलाफ एएनटीएफ का गठन किया था। इसके बाद से लगातार एसटीएफ लगातार नशा तस्करों पर निगरानी रख रही है। पिछले साल जुलाई में एसटीएफ ने 255 नशा तस्करों की कुंडली तैयार कर इन्हें जिलों को कार्रवाई के लिए लिखा था। जिला पुलिस इनके खिलाफ विभिन्न तरह की कार्रवाई कर सकती है। मसलन इनके खिलाफ पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के तहत जेलों में बंद भी रखा जा सकता है। इसके अलावा, एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों के अनुसार इनकी संपत्तियों को भी जब्त कराने की कार्रवाई की जा सकती है।
अब एसटीएफ ने फिर से सभी जिलों को इन नशा तस्करों की सूची सौंपी है। इसमें इस बार 300 से अधिक तस्करों के नाम शामिल हैं। जिला पुलिस को ही इसके लिए आगे की रणनीति बनानी है। एसटीएफ की इस सूची में बड़े तस्करों के नाम भी हैं, जो उत्तराखंड में कॉमर्शियल मात्रा के नशीले पदार्थों के साथ पकड़े गए हैं। अवैध रूप से भांग और अफीम आदि की खेती करने वालों के नाम भी इस सूची में हैं।
दो साल पहले बरेली के तस्करों की संपत्तियां हुई थीं जब्त
दो साल पहले एसटीएफ ने बरेली के एक परिवार के खिलाफ कार्रवाई की थी। इस परिवार का मुखिया स्मैक के साथ गिरफ्तार हुआ था। इसके बाद एसटीएफ ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर आरोपियों की लाखों रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त की थी। इसके बाद से कई ऐसे तस्करों पर नजर रखी जा रही है जिन्होंने तस्करी से पैसा कमाने के बाद अपनी संपत्तियां बनाई हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2025 तक देवभूमि को ड्रग्स फ्री करने का लक्ष्य रखा है। इसी लक्ष्य के अनुसार एसटीएफ के अंतर्गत बनी एएनटीएफ काम कर रही है। एसटीएफ ने नशा तस्करों पर कार्रवाई के लिए इस साल जिलों को 300 से अधिक नामों की सूची भेजी है।