सुरंग में ड्रिलिंग कर रही रैट माइनर्स की टीम, काटकर निकाले ऑगर मशीन के पार्ट्स
दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में कैद 41 श्रमिक बाहर निकले की उम्मीद लगाए हैं। उन्हें बाहर निकालने की पूरी कोशिशें हो रही हैं लेकिन हर बार कोई न कोई बाधा आने से सफलता नहीं मिल रही। रेस्क्यू का आज 16वां दिन है।
एमडीए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सईद अता हसनैन ने कहा कि चीजें नियंत्रण में हैं। जरूरत के हिसाब से भोजन और दवाएं अंदर दी जा रही हैं। मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी महत्व दिया गया है। इसके साथ ही बैकअप संचार स्थापित किया गया है।
सुरंग के ऊपर वर्टकल ड्रिलिंग के साथ ही अब सुरंग के अंदर मैन्युअल ड्रिल का काम भी जारी है। इसके लिए कुछ विशेषज्ञ श्रमिकों को बुलाया गया है। रैट माइनिंग में एक्सपर्ट यह श्रमिक मैन्युअल ड्रिलिंग को अंजाम दे रहे हैं। इन्हें रैट माइनर्स के नाम से भी जाना जाता है।
सुरंग में फंसी ऑगर मशीन के पार्ट्स काट कर निकाल लिए गए हैं। इसके बाद मैन्युअल ड्रिलिंग का काम शुरू हो सकेगा।
पुजारी दिनेश प्रसाद ने कहा कि प्रार्थना है कि वे श्रमिक जल्द बाहर आएं। फंसे हुए श्रमिकों के सुरक्षित बचाव के लिए प्रार्थना की जा रही है। आज हमने यहां हवन पूजा का आयोजन किया है। हम अपने ‘इष्ट देवता’ की पूजा करेंगे।
पीएम के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा ने सिल्कयारा सुरंग का दौरा किया और वहां फंसे श्रमिकों से बातचीत की। उन्होंने फंसे हुए श्रमिकों के परिवारों से भी बात की। साथ ही श्रमिकों को भेजी जा रही खाद्य सामग्री की भी रिपोर्ट ली।
सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों की मानसिक स्थिति जानने के लिए रेस्क्यू रोबोटिक सिस्टम का इस्तेमाल होगा। सिलक्यारा पहुंचे रोबोटिक्स साइंटिस्ट मिलिंद राज ने इस बारे में जानकारी दी। राहत एवं बचाओ कार्य के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने उन्हें लखनऊ से बुलाया है।
अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि हम प्रगति कर रहे हैं। हम जो प्रगति कर रहे हैं उससे मुझे टीम पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है। मैन्युअल ड्रिलिंग अभी शुरू नहीं हुई है जैसे ही इसे शुरू किया जाएगा, हम जल्दी कामयाबी की ओर बढ़ेंगे।