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उत्तराखंड

ठकाठक’ ने यूपी में दिखाया रंग, दूसरे चरण में एनडीए को क्लीन स्वीप… बाकी में मिली कड़ी चुनौती

सिर्फ दूसरे चरण में ही एनडीए को क्लीन स्वीप मिली। बाकी में इंडिया गठबंधन ने उसे कड़ी चुनौती दी। कई चरणों में तो वो भाजपा से आगे रहा। स्पष्ट है कि इस चुनाव में हिंदू-मुस्लिम कार्ड नहीं चला। मुफ्त में राशन और योजनाओं पर विपक्ष के संविधान-बेरोजगारी और खातों में एक लाख भेजे जाने का वादा हावी रहा।

‘टकाटक’ का वादा यूपी के मतदाताओं के सिर चढ़कर बोला। सिर्फ दूसरे चरण में ही एनडीए को क्लीन स्वीप मिली। बाकी में इंडिया गठबंधन ने उसे कड़ी चुनौती दी। कई चरणों में तो वो भाजपा से आगे रहा। स्पष्ट है कि इस चुनाव में हिंदू-मुस्लिम कार्ड नहीं चला। मुफ्त में राशन और योजनाओं पर विपक्ष के संविधान-बेरोजगारी और खातों में एक लाख भेजे जाने का वादा हावी रहा।

पहले चरण में भाजपा ने मोदी की गारंटी और लाभार्थीपरक योजनाओं पर खुद को ज्यादा केंद्रित रखा। हालांकि, इसके साथ ही समझ में आने लगा कि हिंदू-मुस्लिम किए बिना काम नहीं चलेगा। इसलिए उसके बाद के चरणों में मंगलसूत्र छीनने और मुस्लिमों को आरक्षण देने का मुद्दा भाजपा नेताओं ने खूब गर्माने की कोशिश की, लेकिन यूपी में यह अपेक्षा के अनुरूप चलते हुए नहीं दिखाई दिए।

पहले चरण की आठ सीटों में एनडीए को सिर्फ बिजनौर और पीलीभीत ही मिलीं। पांच सीटें इंडिया को मिलीं और एक सीट आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर ने जीती। दूसरे चरण की सभी आठ सीटें एनडीए ने जीतीं। तीसरे चरण में सपा ने भाजपा का विजय रथ फिर थाम दिया। इस चरण में भाजपा को चार तो सपा को 6 सीटें मिलीं।

चौथे चरण में भाजपा को आठ तो सपा को चार और कांग्रेस को एक सीट मिली। पांचवां चरण आते-आते सपा-कांग्रेस ने अपने प्रचार अभियान को और व्यवस्थित किया। तब तक इंडिया के नेतृत्व को अच्छी तरह से समझ आ चुका था कि बेरोजगारी, संविधान और आरक्षण के उनके मुद्दे जनता के दिलोदिमाग पर जादू कर रहे हैं। उन्होंने इसे और भी जोरशोर से उठाना शुरू कर दिया। 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का बेरोजगारों और गरीब महिलाओं के खातों में टकाटक हर महीने 8500 रुपये भेजने का वादा भी असर दिखाने लगा। उनके टकाटक पर जब पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी तो राहुल ने मंच से कहना शुरू किया कि वे मोदी से डरते नहीं हैं। उनसे किस मुद्दे पर बुलवाना है, उन्हें (राहुल) को अच्छी तरह से आता है। यही सब वजहें रहीं कि पांचवें चरण में सपा ने सात सीटें और कांग्रेस ने तीन सीटें जीतीं। जबकि भाजपा को चार सीटों पर संतोष करना पड़ा।

छठा चरण इंडिया के लिए और भी अधिक फलदायी रहा। सपा को 10 और कांग्रेस को एक सीट मिली, जबकि भाजपा ने तीन सीटें जीतीं। हालांकि सातवें चरण में एनडीए के तहत भाजपा को छह और अपना दल को एक सीट मिली। वहीं, सपा ने छह सीटें जीतीं।

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