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सिस्टम की सील से जनता को डरा रहा प्राधिकरण, मैदान से लेकर पहाड़ तक पब्लिक परेशान; क्या बोले व्यापारी?

हल्द्वानी, नैनीताल और रामनगर क्षेत्रों में जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) की कार्यप्रणाली को लेकर आक्रोश है। व्यापारियों का आरोप है कि प्राधिकरण पहले स्वयं नक्शा पास करके निर्माण की अनुमति देता है फिर उसी निर्माण को अवैध घोषित करके ढहा देता है। 

ऊंचापुल में नक्शा पास करने के बाद निर्माण को अवैध बताकर ढहाने से डीडीए की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अमर उजाला ने इस मुद्दे पर व्यापारियों की राय जानी तो उनका कहना था कि जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) की मनमानी से जनता त्रस्त है। हल्द्वानी, नैनीताल, रामनगर में विकास की आड़ में जनता की जेब पर डाका डाला जा रहा है। पहले बेसमेंट की पार्किंग में शोरूम खोला जा रहा है। बाद में नियमों का हवाला देकर सील कर दिया जाता है। चंद महीने बाद ही सील खोल दी जा रही है।डीडीए के अधिकारी रसूखदारों पर मेहरबान हैं। जनता को सिस्टम की सील से डराया जा रहा है। व्यापारियों का कहना है कि प्राधिकरण के अफसरों की कार्यशैली पर शासन में उच्च पदों पर बैठे अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। इस प्राधिकरण ने मैदान तो छोड़ पहाड़ों में नौले, गधेरे और रास्ते तक बंद कर दिए हैं। सभी ने एक सुर में विकास प्राधिकरण को अव्यवहारिक बताते हुए उत्तराखंड से इसे खत्म करने और भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर केस दर्ज करने की मांग उठाई।


प्राधिकरण के खिलाफ पूरे पहाड़ में आंदोलन चल रहा है। मध्यमवर्गीय परिवार को छोटे से निर्माण के लिए दफ्तर के चक्कर काटने के साथ पैसे देने पड़ रहे हैं। बड़ी-बड़ी बिल्डिंग अधिकारियों की शह पर नियमों को ताक पर रखकर खड़ी की जा रही हैं। एक निर्माण आज गलत है और कुछ दिन बाद वही निर्माण सुविधा शुल्क पहुंचने के बाद सही हो जाता है। किसी भी स्तर पर बिना पैसे लिए काम नहीं हो रहा है। प्राधिकरण की व्यवस्था खत्म होनी चाहिए। – विपिन गुप्ता, जिलाध्यक्ष प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल।

विकास प्राधिकरण उन आवासीय कॉलोनियों पर लागू होता है जहां सरकारी जमीन अधिग्रहण की गई हो। उत्तराखंड में तो पगडंडी और गलियों में प्राधिकरण घुस गया है। भीमताल लेक डवलपमेंट के नाम पर झीलें खत्म कर दी बिल्डरों ने कोठियां बना दी हैं। विभाग में जेई, एई और आर्किटेक्ट का पता नहीं और ये लोग छह-छह मंजिल भवन को पास कर रहे हैं और अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं। दमुवादूंगा, राजपुरा, वनभूलपुरा में नक्शे ही पास नहीं होते हैं। – हुकुम सिंह कुंवर, संस्थापक अध्यक्ष, देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल

जिला विकास प्राधिकरण बेलगाम हो चुका है। आम आदमी अपने घर का नक्शा पास कराने के लिए दफ्तर के चक्कर लगाकर परेशान हो गया है। राज्य की भौगोलिक स्थिति क्या है, क्या इन अधिकारियों को इसकी जानकारी है। प्राधिकरण के नाम पर लोगों से लूट-खसोट का खेल बंद होना चाहिए। -हर्षवर्धन पांडे, जिला महामंत्री प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल

जिला विकास प्राधिकरण मध्यम वर्गीय, कम पूंजी वाले लोगों को छोटी-छोटी कई तकनीकी कमियों के नाम पर भवनों के चालान कर देता है और फिर अपने कार्यालय के चक्कर लगवाकर परेशान करता है। प्राधिकरण के जिम्मेदार यदि ईमानदार हैं तो वे सार्वजनिक रूप से घोषणा करें कि जिले में सभी व्यावसायिक निर्माण कार्य मानक के अनुरूप हैं। – वीरेंद्र गुप्ता, प्रदेश संगठन प्रभारी, प्रांतीय नगर उद्योग व्यापार मंडल

महानगर की ओर अग्रसर हल्द्वानी शहर के कुछ इलाकों में पुश्तैनी दुकानें या मकान के लिए भी उन्हीं सड़कों और गलियों के हिसाब से प्राधिकरण के मानकों के अनुसार नवीनीकरण कर नक्शा पास किया जाना चाहिए। व्यापारियों के लिए भी सरलीकरण के तहत प्राधिकरण में नक्शे पास कर समयसीमा निर्धारित की जानी चाहिए। – दलजीत सिंह दल्ली, अध्यक्ष मटर गली व्यापारी एसोसिएशन

नए भवन निर्माण या दुकान के लिए प्राधिकरण के नियम बेहद अटपटे हैं। आम जनता की मानचित्र संबंधित फाइलें लंबे समय से पेंडिंग रहती हैं। बगैर लेनदेन के ये फाइलें आगे नहीं बढ़ रही हैं। ऐसे में आम आदमी विभाग के चक्कर लगाने के लिए मजबूर है। वहीं नालों से लेकर नहरों के ऊपर निर्माण को सेटिंग-गेटिंग से अनुमति दी जा रही है। -अतुल कुमार गुप्ता, प्रदेश प्रभारी, अखिल एकता उद्योग व्यापार मंडल

जिला विकास प्राधिकरण राज्य के निवासियों के लिए बोझ बन गया है। यह कभी भी लोगों के आशियाने पर सुविधा शुल्क के हथौड़े का प्रहार कर देता है। ऐसे में आम आदमी का आर्थिक रूप से चोटिल होना तय है। किसकी सह पर ये अधिकारी इस तरह की मनमानी पर उतारू हैं, सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए। -कुंदन बिष्ट, जिलाध्यक्ष, प्रांतीय नगर उद्योग व्यापार मंडल

झील विकास तथा जिला विकास प्राधिकरण का गठन क्षेत्र में नियोजित विकास के लिए हुआ है लेकिन इसके गठन के बाद नियमों को ताक पर रखकर हुए बड़े-बड़े व्यावसायिक भवनों के निर्माण किसी से छिपे नहीं हैं। सामान्य जनता के लिए मरम्मत सरीखे निर्माण की व्यावहारिकता को देखते हुए नियमों में सरलीकरण होना चाहिए। – भुवन लाल साह, पूर्व अध्यक्ष, व्यापार मंडल तल्लीताल

प्राधिकरण के नियम कितने ही सख्त हों लेकिन कुछ कारोबारी देखते ही व्यावसायिक इमारतें खड़ी कर दे रहे हैं जबकि पीढ़ियों से यहां रह रहे लोग नियमों के डर से परिवार बढ़ने के बावजूद जरूरत के अनुरूप एक कमरा भी नहीं बना पा रहे हैं। – मनोज साह, कपड़ा व्यवसायी तल्लीतालअपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें


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