नेगी दा की 50 साल की संगीत यात्रा को समेटे है कल फिर जब सुबह होगी पुस्तक
गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के 75वें जन्मदिन पर उनके जीवन पर आधारित पुस्तक का विमाचन– मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की शिरकत, कहा- गढ़रत्न नेगी ने गीतों से देश-दुनिया में हिमालय को प्रस्तुत कि
उत्तराखंड के लोक गायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के 75वें जन्मदिन पर उनके संगीत जीवन पर आधारित पुस्तक कल फिर जब सुबह होगी का विमोचन किया गया। वक्ताओं ने कहा, यह पुस्तक गढ़रत्न नेगी दा के 50 साल के गायक जीवन का संग्रह है।
Iसोमवार को उत्तराखंड लोक समाज की ओर से हरिद्वार रोड स्थित संस्कृति विभाग के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। सीएम धामी ने कहा, गढ़रत्न नेगी ने अपने गीतों से देश-दुनिया में हिमालय को प्रस्तुत किया है। नेगी उत्तराखंड के लोक कलाकार ही नहीं बल्कि ऐसे महान सपूत हैं, जिन्होंने हर व्यक्ति के हृदय को छूआ है। उन्होंने एक युग को जिया है, उस युग को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ना चाहिए। इतना ही नहीं किताब के जरिए उनके गीत हमेशा के लिए अमर हो जाएंगे। पुस्तक के लेखक ललित मोहन रयाल ने एक विरासत को संयोजित करने का काम किया है।
इस मौके पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, संस्कृति प्रेमी डॉ. नंद किशोर हटवाल, बलूनी ग्रुप के प्रबंध निदेशक विपिन बलूनी, साहित्यकार डॉली डबराल, रुचि रयाल, नचिकेता आदि मौजूद रहेगढ़रत्न के गीतों से जुड़ा हुआ महसूस करता है हर व्यक्ति
Iलेखक ललित मोहन रयाल ने कहा, प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने उनके गीत सुने या गुनगुनाए न हों। उनके गीतों में हर उत्तराखंडी की धड़कन दौड़ती है। हम सब उनके गीतों से खुद को जुड़ा महसूस करते हैं। कहा, नेगी के गीतों और उनकी 50 साल की यात्रा पर किताब लिखना चुनौती से कम नहीं था। कहा, नेगी उत्तराखंड के मुद्दे और यहां की पीढ़ी को आसानी से भांप लेते हैं।गीत सुन कई लोग अपनी जड़ों से जुड
Iशिक्षाविद् शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा, गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के गीत सुनकर प्रदेश के कई लोग हैं, जो सालों बाद अपनी जड़ों से फिर जुड़ पाए। उनके गीत, कविताएं किसी भी क्रांति की आत्मा में जान फूंकने का काम करते हैं।
Iदून विवि की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा, यह किताब भविष्य में गढ़वाली भाषा में शोध कार्य करने में छात्रों के लिए मददगार साबित होगी। वह सिर्फ गीतकार या लोक गायक ही नहीं हैं बल्कि लोक संगीत की पूरी यूनिवर्सिटी हैं। उनकी यह यात्रा उन्हें नरू भैजी से लीजेंड नरेंद्र सिंह नेगी बनाती है। पूर्व डीजीपी व वरिष्ठ साहित्यकार अनिल कुमार रतूड़ी ने कहा, नेगी दा उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर हैं।
Iकार्यक्र्रम में उत्तर प्रदेश के हाथरस से आए प्रमोद शर्मा ने गढ़वाली गीत गाया तो सभागार तालियों की आवाज से गूंज उठा। प्रमोद ने बताया, साल 2011 में उन्होंने उत्तराखंड में एक बैंक में सेवाएं दी थीं। उसी दौरान नेगी दा के कई गीत सुने। इनसे प्रभावित होकर उन्होंने भी गढ़वाली में गीत गाना शुरू किया और हाल ही में दुबई में भी उन्होंने नेगी दा का के गीत की प्रस्तुति दी।
Iकार्यक्र्रम में युवा कलाकार प्रतीक्षा बमराडा, विनोद चौहान, विवेक नौटियाल, रोहित चौहान, शैलेंद्र पटवाल ने नेगी दा के कई गीतों की प्रस्तुति से समा बांध दिया। गीतकारों का सहयोग सुभाष पांडे, सुमित गुसाईं, विकास चमोली और महेश चंद्र ने दिया।
Iउत्तराखंड लोक समाज की ओर से नरेंद्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान की भी घोषणा की। सबसे पहले नेगी दा को इस सम्मान से नवाजा गया। अब यह सम्मान हर साल साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कलाकारों को दिया जाएगा।
Iगढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की फरमाइश पर लोक गीत ठंडो रे ठंडो… गीत प्रस्तुत किया तो सभा में मौजूद सभी लोग भावविभोर हो गए। उन्होंने प्रदेश के पलायन के दर्द को गीत से बयां किया तो लोगों की आंखें नम हो गईं। किताब के बारे में उन्होंने कहा, लेखक ने इस पुस्तक के जरिए उन शब्दों और वाक्यों को पकड़ा है, जो लोगों तक नहीं पहुंच पाते। लेखक सिर्फ गीतों तक सीमित नहीं रहे, उन्होंने अपने भाव और विचार भी रखे।I