मासूम बोली- बाबूजी…50 रुपये दे दो, मां बीमार है, आटा लेना है; पापा को पुलिस ले गई है
हल्द्वानी हिंसा का असर अब लोगों पर दिखने लगा है। वहीं, हल्द्वानी हिंसा के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक की तलाश भी जारी है। पुलिस उपद्रवियों को पकड़कर गिरफ्तार कर रही है। इसी बीच बनभूलपुरा में रोजी-रोटी कमाकर घर चलाने वालों के सामने बड़ा सकट आ गया है।
अंकल 50 रुपये दे दो, घर में आटा नहीं है। मां बीमार है और पापा को पुलिस ले गई। कल से कुछ खाया नहीं। बनभूलपुरा की गलियों में घूमते हुए जब यह आवाज मेरे कानों में पड़ी तो दिल पसीज गया। देखा तो 8 से 10 साल की एक मासूम आंख में आंसू लिए उम्मीद भरी नजरों से मुझे देख रही थी। जेब में सिर्फ 50 रुपये पड़े थे, जो उसे दे दिए। जैसे ही उसे रुपये मिले, वह उसे लेकर तेजी से भागते हुए गली में ओझल हो गई। कुछ ऐसा हाल है बंद पड़े बनभूलपुरा की तंग गलियों में, जो अभी तक कर्फ्यू के साये में छिपा हुआ है।
शहर की सबसे अधिक भीड़ और शहर की सबसे देर रात तक खुलने वाली दुकानें सुनी पड़ी हैं। हर तरफ सन्नाटा है। मैं रोडवेज स्टेशन से बनभूलपुरा की ओर जा रहा हूं। यहां पर पुलिस बैरिकेडिंग लगाकर बैठी है। यहां से आगे जाने पर रेलवे बाजार के रास्ते से मैं तिराहे और चौराहे की फोर्स को पार करते बनभूलपुरा थाना पहुंचता हूं।
यहां वाहन खड़े हैं। पुलिस फोर्स सहित कई लोग हैं। सफाई कर्मी सफाई कर रहे हैं। इसके बाद गली नंबर 17 में सन्नाटा पसरा है। सड़क किनारे अधिकतर वाहनों के शीशे ऐसे टूटे हैं जैसे किसी ने डंडा मारकर तोड़ा हो। रात तीन बजे तक गुलजार रहने वाली गली में सन्नाटा है। पुलिस की गाड़ियों और जवानों के पैदल चलने की आवाज साफ सुनाई दे रही है। पशुपालन विभाग का वाहन खड़ा है और डॉक्टर एक भैंस की जांच कर रहे हैं।तभी एक पुलिस का वाहन गुजरता है। इसके पीछे अर्द्धसैनिक बल हैं। मलिक के बगीचे के रास्ते के सभी घर बंद हैं। एक-दो महिलाएं दिख रही हैं। पास में आंचल दूध बेचने वाला वाहन खड़ा है। कुछ महिलाएं यहां से दूध ले रही हैं।