चमोली के तपोवन के ऊपर धौली गंगा में बन रही झील मचा सकती है भयंकर तबाही, सैटेलाइट इमेज ने बढ़ाई टेंशन

उत्तराखंड से टेंशन वाली खबर सामने आई है। चमोली जिले के तपोवन के ऊपर धौली गंगा में एक झील बन रही है। प्रशासन ने निगरानी बढ़ा ही है। बता दें कि 2021 में ही तपोवन में ही भयंकर तबाही मची थी।सीमांत जनपद चमोली जिले में तपोवन के ऊपर धौली गंगा में बनी झील ने एक बार फिर से पहाड़ में खतरे की घंटी बजा दी है। वर्ष 2021 में तबाही मचा चुकी ऋषि गंगा-धौली गंगा एक बार भयावह आपदा कारण बन सकती है।
धौली गंगा में अचानक बनी झील की सैटेलाइट इमेज में झील का स्पष्ट चित्र सामने आने के बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। चमोली जिलाधिकारी गौरव कुमार ने आपदा प्रबंधन विभाग, विशेषज्ञों और एसडीआरएफ की टीम को तत्काल मौके पर भेजा, ताकि झील की स्थिति का आकलन किया जा सके और किसी भी संभावित आपदा से पहले जल निकासी की व्यवस्था की जा सके।बता दें कि हिमालयी क्षेत्र में छोटी सी हलचल भी बड़ी आपदा बन सकती है। उत्तराखंड के सीमांत जनपद में यही खतरा आकार ले रहा है। धौली गंगा नदी में जो झील बन रही है, उसे भू-वैज्ञानिक गंभीर खतरा मान रहे हैं। यहां तक कि इन भू-वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि अगर झील यूं ही बढ़ती रही, तो निचले इलाकों में बड़ी तबाही से इनकार भी नहीं किया जा सकता।पहाड़ों में धौली गंगा को अलकनंदा जल ग्रहण क्षेत्र की सबसे खतरनाक नदियों में माना जाता है। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट का कहना है कि वह 1986 से इस क्षेत्र का भूगर्भीय सर्वे कर रहे हैं। हाल ही में 25 से 28 अक्टूबर के बीच सीमांत क्षेत्रों का भ्रमण करने के दौरान उन्होंने तमंग नाले के पास धौली गंगा में झील का निर्माण होते देखा।इस झील की लंबाई लगभग 350 मीटर है। नीति घाटी में तमंग नाले और गांखुयी गाड धौली गंगा में आकर मिलते हैं। इस साल मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश के चलते तमंग नाले पर बना लगभग 50 मीटर लंबा आरसीसी पुल बह कर धौली गंगा में गिर गया था, जिससे नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो गया और पानी रुकने लगा।हालांकि, झील से धीरे-धीरे पानी का रिसाव भी हो रहा है, लेकिन जिस तरह झील का आकार बढ़ रहा है, उससे खतरा भी बना हुआ है। प्रोफेसर बिष्ट के अनुसार इस क्षेत्र का भूगर्भीय ढांचा बेहद नाजुक है। यहां की ढलानों पर ग्लेशियरों की पुरानी मलबे की ढेरियां मौजूद हैं, जो थोड़ी सी नमी से या झटका लगने से खिसक जाती हैं, जिसकी वजह से यहां पर बार-बार भूस्खलन, फ्लैश फ्लड और एवलॉन्च जैसे घटनाक्रम होते रहते हैं।
वहीं, इस झील की बढ़ती आकृति ने प्रशासन को भी सतर्क कर दिया है। पिछले कुछ दिनों में क्षेत्र में हल्के भूस्खलन की घटनाएं भी हुई हैं। ऐसे में झील का दबाव बढ़ने पर नीचे तपोवन क्षेत्र और हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है।
लोगों का कहना है कि दो दिनों से धौली गंगा का प्रवाह बदल रहा है
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले दो दिनों से धौली गंगा का रंग और प्रवाह भी बदल रहा है। जिसके चलते लोगों को आशंका हो रही है कि झील फटने की स्थिति में पानी का प्रवाह तेज हो सकता है। प्रशासन ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और किसी भी असामान्य गतिविधि की सूचना तत्काल देने की अपील की है।
इस संबंध में जिलाधिकारी गौरव कुमार का कहना है कि स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है। किसी को घबराने की आवश्यकता नहीं है। हम लगातार निगरानी कर रहे हैं और समय रहते जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
					
					



