भाई के साथ आने से सुकून, फायदा कितना होगा पता नहीं’; पंकजा मुंडे ने बताई मन की बात
महाराष्ट्र का बीड लोकसभा क्षेत्र मराठा आंदोलन में सुलगता रहा है। भाजपा के दिग्गज नेता रहे दिवंगत गोपीनाथ मुंडे के गढ़ में उनकी बड़ी बेटी पंकजा मुंडे मैदान में हैं। उनके सामने मराठा प्रत्याशी है। इसलिए यह सीट मुंडे परिवार ही नहीं, बल्कि भाजपा के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है।
सवाल : दो दशकों से बीड भाजपा और खासकर मुंडे परिवार के पास ही रही है। कितना दबाव और चुनौती महसूस कर रही हैं?
पंकजा मुंडे : दबाव तो कोई नहीं। हमने यहां काम किया है, हम विकास के मुद्दे पर लड़ रहे हैं। हां, आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर थोड़ी स्थिति अलग है, पर हमें कोई चुनौती महसूस नहीं हो रही। हमारा कोई विरोध भी नहीं है।
सवाल : बहन की जगह आप हैं, प्रतिद्वंद्वी कहते हैं कि दस साल वह जनता से दूर रही हैं…और विस चुनाव में हार के बाद आप भी?
ऐसी बेकार की बातें प्रतिद्वंद्वी करते हैं। मेरी बहन सांसद के साथ ही डाॅक्टर भी हैं। वह जनता से हर तरह से जुड़ी रहीं। जनता से तो वे लोग कटे रहे, अब पांच साल बाद नजर आ रहे हैं। एंटी-इंकम्बेंसी जैसी कोई चीज नहीं है। जनता हमारे काम को देख रही है। पहले मुंडे साहब ने इस क्षेत्र के लिए बहुत काम किया, फिर मैंने राज्य में मंत्री रहते हुए।
सवाल : यह तो आप अपने व मुंडे साहब के काम बता रही हैं। विरोधी कह रहे कि आपकी बहन ने सांसद निधि भी पूरी खर्च नहीं की।
जवाब : मैं जब मंत्री थी, तब सांसद वही थीं। हमने मिलकर इलाके की बेहतरी के लिए काम किया। सड़कों के प्रोजेक्ट राज्य व केंद्र दोनों ने मिलकर पूरे किए हैं। रेलवे के मामले में यह क्षेत्र बिल्कुल पिछड़ा था। अब स्थिति बदल रही है। यह दुष्प्रचार है कि सांसद निधि खर्च नहीं हुई। कोविड-19 महामारी के समय काम बंद हो गए थे, तो कुछ पैसा वापस हो गया था। ये लोग उसी की बात करते हैं।
सवाल : आपके सियासी विरोधी रहे चचेरे भाई धनंजय मुंडे अब गठबंधन में आपके साथ हैं। कितना फायदा होगा?
जवाब : फायदा कितना होगा, यह तो पता नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि सुकून महसूस कर रही हूं कि हम साथ हैं। आपस में नहीं लड़ रहे। हमारी राष्ट्रीय पार्टी है, उनकी क्षेत्रीय। अब यह उनको देखना है कि वे अपनी पार्टी व वोटरों को कितना खींच सकते हैं। यह दबाव उन पर जरूर रहेगा। हमें तो राहत है।
सवाल : मराठा आरक्षण को लेकर जो विरोध हो रहा है, उससे मराठा व ओबीसी वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो भाजपा कितनी प्रभावित होगी?
जवाब : हमें नहीं लगता कि वोटों का ध्रुवीकरण होगा। हम चुनाव वैसे भी जातीय आधार पर नहीं, जनता से जुड़े और विकास के मुद्दों पर लड़ रहे हैं।