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उत्तराखंड

गोविंद वन्यजीव विहार व राष्ट्रीय पार्क की सुपिन में गड़बड़झाला होता रहा,

वित्तीय वर्ष 2020-2021 में भूस्खलन के ट्रीटमेंट, संपर्क मार्ग की मरम्मत और घाटियों का संकोणी माइकाओडार के तीन कामों में सरकार को सीधे तौर पर 10.94 लाख रुपये की चपत लगाई गई है। काम कराने वाले अधिकारियों ने अपनी सीमा से बाहर जाते हुए बिना काम के ही ठेकेदार को भुगतान कर दिया।

उत्तरकाशी जिले के पुरोला स्थित गोविंद वन्यजीव विहार व राष्ट्रीय पार्क की सुपिन रेंज में राज्य सेक्टर और दूसरी मदों में कराए गए कार्यों में लाखों रुपये का गबन किया गया। अमर उजाला की पड़ताल में रोज नए तथ्य सामने आ रहे हैं।

ताजा मामले में रेंज के अंतर्गत कराए गए तीन कार्यों में करीब 11 लाख रुपये की चपत सरकार को लगाई गई। इस दौरान तत्कालिन प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) की ओर से जांच के आदेश भी दिए गए, लेकिन जांच का नतीजा क्या रहा, इसका आज तक किसी को अता-पता नहीं है। वित्तीय वर्ष 2020-2021 में भूस्खलन के ट्रीटमेंट, संपर्क मार्ग की मरम्मत और घाटियों का संकोणी माइकाओडार के तीन कामों में सरकार को सीधे तौर पर 10.94 लाख रुपये की चपत लगाई गई है।

काम कराने वाले अधिकारियों ने अपनी सीमा से बाहर जाते हुए बिना काम के ही ठेकेदार को भुगतान कर दिया। सुपिन रेंज के अंतर्गत जखोल वन विश्राम भवन नथाणा संपर्क मार्ग किमी एक से दो और भूस्खलन वाले भाग में वायर क्रेट का निर्माण किया जाना था। इस काम के लिए 2.69 लाख रुपये मंजूर किए गए थे।

बजट किया गया था जारी
यहां भूस्खलन क्षेत्र में वायर क्रेट का थोड़ा बहुत काम हुआ, जबकि छोटे-बड़े आठ कामों को छुआ तक नहीं गया और ठेकेदार को पूरे काम का भुगतान कर दिया गया। इस तरह से जखोल में घाटियों का संकोणी माइकाओडार संपर्क मार्ग की मरम्मत के काम में ड्राई रिटेनिंग वॉल, ब्रैस्ट वॉल के लिए बुनियाद खुदान, दीवार की चिनाई, खंडजा बिछाने, स्पिल की सफाई, पानी की निकासी को नाली का निर्माण जैसे कुल आठ काम होने थे, लेकिन निरीक्षण के दौरान मौके पर एक भी काम होना नहीं पाया गया, जबकि इन कामों की एवज में ठेकेदार को कुल 4.77 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया।

इसी तरह से जखोल में घाटियों का संकोणी माइकाओडार संपर्क मार्ग के किमी चार से पांच के बीच इसी तरह के कुल आठ काम होने थे। इनके लिए राज्य सेक्टर योजना के तहत कुल 3.48 लाख रुपये का बजट जारी किया गया था। यहां भी बिना काम के ठेकेदार के खाते में यह रकम पहुंचा दी गई। इस काम में तत्कालीन उप निदेशक, रेंजर और वन दरोगा सहित अन्य कर्मियों की भूमिका जांच के दायरे में हैं।

हॉफ ने सीसीएफ वाइल्ड लाइफ को सौंपी थी जांच

वन विभाग के तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) की ओर से सुपिन रेंज सहित अन्य रेंजों में शिकायत की जांच तत्कालीन सीसीएफ वाइल्ड लाइफ रंजन मिश्रा को सौंपी गई थी। संपर्क करने पर मिश्रा ने बताया, उन्होंने अपनी जांच पूरी करने के बाद वन मुख्यालय को सौंप दी थी। इसके बाद क्या हुआ, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। इधर, विभागीय सूत्रों की मानें तो हॉफ की कुर्सी पर अधिकारी के बदलने के बाद यह जांच ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

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