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उत्तराखंड

हर 20 साल बाद तोड़कर फिर से बनाया जाता है ये अनोखा मंदिर, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

यह मंदिर दो हिस्सों नाइकु यानि आंतरिक मठ और गेकू यानि बाहरी मठ में बटा हुआ है। इन मठों की खासियत है कि इनको उजी पुल के साथ हर 20 साल में तोड़ दिया जाता है और फिर बनाया जाता है।

 दुनिया में अलग-अलग जगहों पर धर्म से जुड़ी कई तरह की मान्यताए हैं। लोग उन मान्यताओं का पालन करते हैं। अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग मान्यताएं होती हैं। कुछ मान्यताएं बेहद हैरान करने वाली होती हैं, जिनके बारे में समझना भी बेहद मुश्किल होता है। आज हम आपको एक धार्मिक मान्यता के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आपको यकीन नहीं होगा। 

क्या कभी ऐसे मंदिर या धार्मिक स्थल के बारे में सुना है, जिसे हर 20 साल के बाद तोड़ा जाता है और फिर बनाया जाता है? लेकिन एक ऐसा मंदिर है, जिसे श्रद्धालु खुद तोड़ते हैं और फिर बनाते हैं। इस जगह का नाम है Ise Grand Shrine और इसे जिंगू के नाम से भी जाना जाता है। जापान के सबसे पवित्र धर्मस्थलों में से यह एक है।

हर 20 साल बाद तोड़कर फिर से बनाया जाता है मंदिर 

दरअसल, यह मंदिर दो हिस्सों नाइकु यानि आंतरिक मठ और गेकू यानि बाहरी मठ में बटा हुआ है। इन मठों की खासियत है कि इनको उजी पुल के साथ हर 20 साल में तोड़ दिया जाता है और फिर बनाया जाता है। बीते 1300 सालों से यह परंपरा चली आ रही है, जो शिंतो मान्यता से जुड़ी है। 

इसे मृत्यु और पुनर्जीवन से जोड़कर देखा जाता है। इसके माध्यम से एक पीढ़ी से मठ को बनाने की कला अगली पीढ़ी में पहुंचती है। बिल्कुल पास में ही मठ को दोबारा बनाया जाता है। पुराना हो जाने पर फिर से पास में स्थित जगह पर इसे बनाया जाता है। इस मठ का निर्माण आखिरी बार 2013 में हुआ और अब इस साल 2033 में तोड़कर बनाया जाएगा। 

इस घटना को खास बनाने के लिए ओकिहिकी फेस्टिवल मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान लोगों द्वारा साइप्रेस के पेड़ों के बड़े-बड़े डंडे लाए जाते हैं, जिससे नए मठ को बनाया जाता है। 

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