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धर्मसंस्कृति

पितृदोष से मुक्ति के लिए इन 3 तिथियों पर करें श्राद्ध

पितृदोष से मुक्ति के लिए इन 3 तिथियों पर करें श्राद्धहिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू होता हैं और इसका समापन अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन हो जाता है। पितृ पक्ष जिसे श्राद्ध या श्राद्ध पक्ष  के नाम से भी जाना जाता है, एक 16 दिवसीय हिंदू अनुष्ठान है। यह अनुष्ठान अपने पूर्वजों को सम्मान देने और उनको स्मरण करने के लिए किया जाता है। यह मृतक की आत्माओं की शांति और उनको मोक्ष की प्राप्ति कराने के लिए बड़ी श्रद्धा के साथ किया जाता है। धार्मिक  मान्यता के अनुसार यह अनुष्ठान परिवार के सबसे बड़े बेटे द्वारा किया जाता है और इसमें विभिन्न रीति-रिवाज शामिल होते हैं। साल 2023 में पितृ पक्ष 29 सितंबर से आरंभ होने जा रहा है और 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। श्राद्ध पक्ष की सभी तिथियां वैसे तो स्वयं में ख़ास हैं लेकिन श्राद्ध पक्ष में तीन खास तिथियों का महत्व काफी ज्यादा माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पितरों को प्रसन्न करने के लिए और पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए  इस बारश्राद्ध पक्ष की ये तिथियां काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

भरणी श्राद्ध तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार 2 अक्तूबर 2023 को चतुर्थी श्राद्ध के साथ भरणी श्राद्ध किया जाएगा। इस दिन भरणी नक्षत्र शाम 06:24 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि मृत्यु के 1 साल बाद भरणी श्राद्ध करना चाहिए। जिनकी मृत्यु विवाह होने के पहले ही हो जाती है उनका श्राद्ध पंचमी तिथि पर किया जाता है और अगर पंचमी तिथि पर भरणी नक्षत्र होता है तो यह बेहद खास होता है। 

नवमी श्राद्ध तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार 7 अक्तूबर को नवमी श्राद्ध किया जाएगा।  नवमी श्राद्ध को मातृ श्राद्ध या मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है। मातृ नवमी पर घर की माता,दादी,नानी का श्राद्ध किया जाता है। मातृ नवमी के दिन माता पितरों का तर्पण,श्राद्ध या पिंडदान करने से वे प्रसन्न होती हैं। 

सर्व पितृ अमावस्या 
सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्तूबर को पड़ रही है और इसी दिन सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। इस तिथि पर उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि के बारे में जानकारी नहीं होती है यानि सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी तरह के ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। 

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