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देवेंद्र अरोड़ा उर्फ निक्कू दाई। 80 के दशक का वह कुख्यात जिसकी दहशत न सिर्फ उस समय देहरादून में थी बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े बदमाश भी उससे घबराने लगे थे। उसके संबंध मुंबई में अंडरवर्ल्ड से भी थे। निक्कू दाई के भतीजे विनीत पर जब विपिन रावत की हत्या का आरोप लगा तो मौत के 24 साल बाद इस नाम की चर्चा फिर से होने लगी। हर कोई इसे निक्कू दाई के पहले अपराध की तरह ही मान रहा है।
दरअसल, विनीत के चाचा के गुनाहों की शुरुआत भी एक हत्या से हुई थी। हालांकि, यह हत्या उसने हनक में नहीं बल्कि अपने पिता की सरेबाजार की गई पिटाई का बदला लेने के लिए की थी। बात वर्ष 1981 की है। देवेंद्र अरोड़ा अपने पिता के साथ जूस की दुकान पर बैठता था। उस वक्त शहर में कुछ बदमाश व्यापारियों से उगाही करते थे।
एक दिन जब निक्कू के पिता ने उगाही के पैसे देने से मना कर दिया तो सरेेबाजार बदमाशों ने उनकी पिटाई कर दी। उस वक्त तो वह चुप रहा लेकिन प्रतिशोध की आग को अपने सीने में पाले रहा। कुछ दिन बाद निक्कू ने अपने दोस्त का तमंचा चुराया और घोसी गली में बैठे उस बदमाश की सरेबाजार गोली मारकर हत्या कर दी।
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पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। लेकिन, कुछ साल बाद जमानत पर बाहर आया तो उसने गुनाह के रास्ते को ही चुना। डालनवाला क्षेत्र में उसने कई लूट की घटनाओं को अंजाम दिया। कुछ दिन बाद वह ऋषिकेश जाकर रहने लगा। वहां उसने विवाद के चलते अनिल नाम के व्यापारी की गोली मारकर हत्या कर दी। गिरफ्तार तब भी हुआ लेकिन कुछ ही समय में छूट गया।