पश्चिम बंगाल: राज्यपाल ने गोपनीयता पर सवाल उठाने का बाद लिया बड़ा फैसला, राजभवन की सुरक्षा में किया फेरबदल
सूत्रों की माने तो कई बैठकों में राज्यपाल ने आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा उनके घर की जासूसी की गई है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस और पश्चिम बंगाल की सरकार में लगातार तनातनी बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार, राज्यपाल कई बैठकों में ममता सरकार पर जासूसी करने का आरोप लगा चुके हैं। इस बीच, उन्होंने एक बड़ा बदलाव करने का निर्देश दिया है।
राजभवन की सुरक्षा में फेरबदल
राज्यपाल बोस ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को राजभवन की पहली और दूसरी मंजिल पर सुरक्षा का प्रबंधन करने का निर्देश दिया है। जबकि पहले इसका जिम्मा कोलकाता पुलिस पर था। राज्यपाल के आदेश के बाद कोलकाता पुलिस अब केवल मुख्य प्रवेश द्वारों और इमारत के आसपास के उद्यानों की सुरक्षा व्यवस्था देखेगी।
नई तकनीकियों का इस्तेमाल
सूत्रों की माने तो कई बैठकों में राज्यपाल ने आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा उनके घर की जासूसी की गई है। अपनी गोपनीयता की चिंताओं को उठाए जाने के बाद राज्यपाल ने यह कदम उठाया है। बताया जा रहा है, गवर्नर हाउस में निगरानी और फोन टैपिंग से बचने के लिए नई तकनीकियों का इस्तेमाल किया जाएगा।
राज्यपाल पर टीएमसी नेता का हमला
हालांकि, राज्यपाल के नए आदेश के बाद उनपर लगातार निशाना साधा जा रहा है। कोलकाता के मेयर और तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता फरहाद हकीम ने फैसले को नाटक बताया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल संविधान का पालन नहीं कर रहे हैं, बल्कि दिल्ली में अपने आकाओं को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं।
हकीम ने कहा कि अपने बॉस को खुश करने के लिए संविधान का पालन नहीं करना, यह सही नहीं है। उन्होंने राज्यपाल पर सवालों की बौछार की। उन्होंने पूछा कि वह राजभवन छोड़कर राष्ट्रपति भवन में क्यों नहीं रहते? वह एक आईएएस अधिकारी हैं और आईपीसी नहीं जानते हैं? अगर कोई हमला होता है तो क्या केंद्रीय बल प्राथमिकी दर्ज कर पाएंगे? उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक नाटक है।