Home Tuition in Dehradun
Uttarakhand Election Promotion 2024
उत्तराखंड

 वोट देने में बहना का क्या कहना…विधानसभा हो या लोकसभा, महिलाएं कर रहीं ज्यादा मतदान

विधानसभा हो या लोकसभा, महिलाएं पुरुषों से ज्यादा मतदान कर रहीं हैं। पिछले आंकड़ों के आधार पर इस बार चुनाव आयोग ने महिला मतदान प्रतिशत और बढ़ने की उम्मीद जताने के साथ ही खास रणनीति भी बनाई है।

महिलाएं पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के सामाजिक और आर्थिक सरोकारों की धुरी मानी जाती हैं। लोकतंत्र के चुनावी पर्व में भी अपनी भागीदारी को लेकर उनकी संजीदगी राज्य के सभी मतदाताओं के लिए एक प्रेरणा है। पिछले तीन विस और दो लोकसभा चुनावों के मतदान के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं।

वे अपने सरोकारों और जिम्मेदारियों को लेकर जितनी जागरूक हैं, उतनी ही संजीदा वोट के महत्व को लेकर भी हैं। ये उनकी जागरूकता का परिणाम है कि वे इन चुनावों में मतदान के मामले में पुरुषों आगे निकल गईं। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल भी आधी आबादी को रिझाने की दिशा में रणनीति बना रहे हैं। मुख्य निर्वाचन कार्यालय भी महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़ने से उत्साहित है। पिछले आंकड़ों के आधार पर इस बार चुनाव आयोग ने महिला मतदान प्रतिशत और बढ़ने की उम्मीद जताने के साथ ही खास रणनीति भी बनाई है।

पिछले लोकसभा चुनाव में अगर जिलावार भी आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि हरिद्वार को छोड़कर किसी भी जिले में पुरुष मतदान के प्रति उत्साहित नजर नहीं आए। उत्तरकाशी में 63.65 प्रतिशत महिला और 57.73 प्रतिशत पुरुष, चमोली में 61.89 प्रतिशत महिला और 51.54 प्रतिशत पुरुष, रुद्रप्रयाग में 63.29 प्रतिशत महिला व 45.16 प्रतिशत पुरुष, टिहरी में 57.21 प्रतिशत महिला व 41.91 प्रतिशत पुरुष, देहरादून में 63.36 प्रतिशत महिला व 59.32 प्रतिशत पुरुष ने मतदाधिकार का प्रयोग किया।

हरिद्वार जिले में 72.47 प्रतिशत पुरुष और 71.72 प्रतिशत महिलाओं ने वोट किया। पौड़ी में 56.44 प्रतिशत महिला व 45.56 प्रतिशत पुरुष, पिथौरागढ़ में 53.97 प्रतिशत महिला व 50.21 प्रतिशत पुरुष, बागेश्वर में 64.96 प्रतिशत महिला व 49.53 प्रतिशत पुरुष, अल्मोड़ा में 55.04 प्रतिशत महिला व 40.81 प्रतिशत पुरुष, चंपावत में 62.54 प्रतिशत महिला व 50.37 प्रतिशत पुरुष, नैनीताल में 65.37 प्रतिशत महिला व 62.14 प्रतिशत पुरुष, ऊधमसिंह नगर में 72.49 प्रतिशत महिला व 70.90 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया था। निर्वाचन कार्यालय इस बार इस मतदान प्रतिशत को और बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।

चार लोकसभा चुनाव में महिला-पुरुष मतदान प्रतिशत

चुनाव वर्ष- पुरुष मतदान प्रतिशत- महिला मतदान प्रतिशत

2004- 53.43- 44.94

2009- 56.67- 51.11

2014- 61.34- 63.05

2019- 58.86- 64.38

लोकसभा चुनाव में पुरुष-महिला मतदान प्रतिशत

विस चुनाव वर्ष – पुरुष मतदान प्रतिशत- महिला मतदान प्रतिशत

2002- 55.94- 52.64

2007- 58.95- 59.45

2012- 65.74- 68.84

2017- 62.15- 69.30

2022- 62.60- 67.20

राजनीतिक दलों की भी पहली प्राथमिकता बनी आधी आबादी

चूंकि विस व लोस चुनावों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है, इसलिए राजनीतिक दल भी आधी आबादी को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। इस बार भी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने सत्ता में वापसी पर नारी न्याय नाम से पांच गारंटी दी है। इसमें गरीब परिवार में एक महिला को सालाना एक लाख रुपये, केंद्र में नई भर्तियों में 50 प्रतिशत महिला आरक्षण, आशा, आंगनबाड़ी और मिड डे मील बनाने वाली महिलाओं के वेतन में केंद्र सरकार का दोगुना करने, कानूनी जानकारी देने को हर ग्राम पंचायत में एक अधिकार मैत्री, कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल की संख्या दोगुनी करने की गारंटी शामिल है। वहीं, भाजपा इस बार चुनावी मैदान में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण, दो करोड़ लखपति दीदी, मातृ वंदन योजना, घसियारी कल्याण योजना जैसी तमाम योजनाएं बताएगी। इसके साथ ही अभी घोषणापत्र आना बाकी है।

क्या बोली महिला नेता

निश्चित तौर पर महिलाओं की मतदान में भागीदारी बढ़ना अच्छा संकेत है। कांग्रेस ने महिलाओं के सशक्तिकरण व उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई घोषणाएं की हैं। हम महिला कल्याण की योजनाओं को लेकर महिला मतदाताओं के बीच जा रहे हैं। 

महिलाओं को जागरूक करने के लिए हम जगह-जगह नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महिला कल्याणकारी योजनाओं के साथ ही उन्हें मतदान के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। उत्तराखंड में महिलाएं बहुत जागरूक हैं।

Register Your Business Today

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button