जब स्मृति ईरानी ने कहा- महिलाओं को आगे लाने का सवाल सिर्फ महिला नेताओं से ही क्यों?
केंद्रीय महिला कल्याण, बाल विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने अमर उजाला संवाद में हर सवाल पर बेबाक अंदाज में अपनी बातें रखीं।
महिलाओं को आगे लाने का सवाल सिर्फ महिला नेताओं से ही क्यों पूछा जाता है? पुरुष राजनेताओं से क्या कभी पुरुषों के लिए सुझाव पूछा जाता है। महिला ही महिलाओं के लिए क्यों प्रेरणा बने? कभी कहा जाता है कि कोई पुरुष लड़कों के लिए प्रेरणा बने। यह सवाल ही भेदभाव का बीज बोता है। ये शब्द हैं केंद्रीय महिला कल्याण, बाल विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी के। अमर उजाला संवाद में उन्होंने हर सवाल पर बेबाक अंदाज में अपनी बातें रखीं।
सड़क पर क्रीम भी बेची, बर्तन भी धोए
राजनीतिक महत्वाकांक्षा पर चर्चा में स्मृति ने कहा कि मेरी उम्र 47 साल है। मेरे हिसाब से सबसे सफल वह व्यक्ति है, जिसकी कोई अभिलाषा नहीं है। मेरी कोई अभिलाषा बची नहीं है। जनपथ में क्रिकेटर मनोज प्रभाकर की कंपनी थी। वहां मैंने 200 रुपये दिहाड़ी पर सड़क पर क्रीम भी बेची है। मुंबई में 1800 रुपये महीने में बर्तन धोने की नौकरी करती थी, जिसने यह सब देखा हो, उसके लिए आज यहां होना ही बड़ी सफलता है।
27 साल में पहला चुनाव लड़ा था
मीडिया व अभिनय दोनों में से क्या चुनौतीपूर्ण था, इस सवाल पर स्मृति ने कहा कि बहुत लोगों को खुशफहमी है कि मेरी मीडिया और राजनीति की यात्रा अलग थी। मेरा यह सौभाग्य रहा कि मैं डब्ल्यूएचओ की यू शेड की राजदूत रही। तब मेरी उम्र 23 साल थी। तब मैं विश्व स्वास्थ्य संगठन में महिला और स्वास्थ्य से जुड़े विषय पर काम कर रही थी। 25 साल की उम्र में कार्यकाल खत्म कर राजनीति में आई।
27 की उम्र में पहला चुनाव लड़ा। दोनों मुख्तलिफ चीजें रहीं, यह सच नहीं है। कुछ लोगों ने मुझे राजनीतिक रूप से तब खोजा, जब मैं अमेठी में चुनाव लड़ने गई। उन्हें नहीं पता था कि तब तक मैं दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुकी थी। उन्हें नहीं पता था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर देश की संसद की यूनियन होती है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मैं सर्वसम्मति से सीरियाई संकट से जुड़ा प्रस्ताव लिखने के लिए चुनी गई थी। मैंने गरीबी को सालों साल देखा है।
देश सेवा में सांसद चुना जाना मेरा सौभाग्य
अभिनय में कुछ मिस करती हैं, के सवाल पर उन्होंने कहा कि 140 करोड़ लोगों के देश की सेवा करने के लिए संसद में चुना जाना अपने आप में बहुत बड़ा सौभाग्य है। इतने सांसदों में से भी कैबिनेट में मौका मिले, यह भी सौभाग्य से कम नहीं। सेवा और सौभाग्य को ठुकराकर कौन पलटकर जाएगा?
गांधी परिवार ने कभी सड़क नहीं देखी
स्मृति ने सियासत पर बात की। कहा कि एक बार अमेठी में मैं रात 7.30 बजे जा रही थी तो मुझे कहा गया कि आप तो ‘तुलसी’ हैं और पहले भी यहां उम्मीदवार पर गोली चल चुकी है। मैंने कहा मुझे मार देंगे तो 400 सीटें पीएम मोदी के लिए आ जाएंगी। मेरे लिए संघर्ष आसान था, क्योंकि मैं सड़क से उठी हूं। गांधी परिवार के लिए यह मुश्किल है, क्योंकि उन्होंने सड़क कभी देखी नहीं थी। मुझे कोई आपत्ति नहीं है कि सब कुछ चला जाए और दोबारा बर्तन मांजने पड़े, तब भी दो वक्त की रोटी तो कमा ही लूंगी।
कोई घमंड से आलोचना करे तो मुस्कुराइए
लोग कहते थे कि एक्टर है तो बुद्धिविहीन होगी। लोग कटाक्ष या अपमान करते थे तो सुनती थी कि क्या आलोचना रचनात्मक है या घमंड की वजह से है। अगर उनका विश्लेषण मेरे बारे में सही है तो मुझे बेहतर करना होगा। कोई घमंड से आपकी आलोचना करे तो मुस्कुराकर आगे बढ़ जाइए। मुकद्दर के आप सिकंदर निकले तो आप उनसे ऊंचे पलड़े पर होंगे। तब आप याद रखें कि क्षमा सबसे बड़ा दान है। -स्मृति ईरानी