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जब ढांचा ढहा, खुद थे अयोध्या में, घर पर पिता को लेने पहुंची पुलिस, आंदोलन में दो पीढ़ियां थीं साथ

500 साल से अधिक समय के इंतज़ार के बाद आज अयोध्या में रामलला विराजमान हो गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा के इस ऐतिहासिक पल ने हर उस शख्स की आंखों को नम कर दिया, जिन्होंने राम मंदिर के निर्माण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है।

राम मंदिर आंदोलन में एक साथ दो-दो पीढ़ियों ने हिस्सा लिया। शहर और आसपास के क्षेत्राें में ऐसे कई लोग हैं, जिनके पूरे परिवार ने आंदोलन में हिस्सा लिया। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा चुके भाजपा नेता एवं समाजसेवी प्रमोद कुमार गोयल उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि उनके पिताजी स्वर्गीय रमेश चंद्र गोयल इससे पहले 1975 में आपातकाल के समय गिरफ्तारी दे चुके थे।

इसके बाद विहिप और आरएसएस के संपर्क में आए 1989 से 1992 तक आंदोलन में सक्रिय भूमिका में आ गए। वे भी अपने पिताजी से प्रभावित थे। जिस दिन विवादित ढांचा ढहा तो वे साथियों के साथ अयोध्या में थे, उसी दिन पिताजी को गिरफ्तार करने पुलिस उनके घर पहुंच गई। राम मंदिर आंदोलन ने उनके और पूरे परिवार पर अमिट छाप छोड़ी। बताया कि उन्होंने अपने पिताजी की राह पर चलते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ काम किया और 1994 में भाजपा जिला सहारनपुर के जिला मंत्री बन गए।

परंपरा का हिस्सा बनाया

निरंतर पार्टी के विभिन्न दायित्वों पर 2002 में भाजपा से नगर पालिका का चुनाव लड़ा। अनेक सामाजिक संगठन में अध्यक्ष का दायित्व निभाया और वर्तमान में रुड़की की चावमंडी स्थित सबसे बड़ी गौशाला के अध्यक्ष के रूप में सेवारत हैं। प्रमोद गोयल ने बेटे सागर गोयल को भी इसी परंपरा का हिस्सा बनाया।

दादाजी और पिताजी का सपना पूरा होते देखा
सागर संघ से जुड़े रहने के साथ दो बार भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वर्तमान में भी युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ भारतीय खाद्य निगम भारत सरकार में सदस्य हैं। सागर का कहना है कि उनके दादाजी और पिताजी का सपना पूरा होते देख पूरे परिवार में खुशी का माहौल है।

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