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उत्तराखंड

आज आयोग का कार्यकाल खत्म होगा, कई माह से अध्यक्ष पद खाली; UCC पर तैयार हो रही रिपोर्ट

जस्टिस (सेवानिवृत्त) रितु राज अवस्थी 22वें विधि आयोग के अध्यक्ष थे, लेकिन उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था लोकपाल का सदस्य नियुक्त कर दिया। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति ने मार्च में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर रिपोर्ट सौंपी थी। 

22वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त को खत्म हो रहा है। हालांकि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अहम रिपोर्ट तैयार करने का काम जारी है।

आयोग की कार्य प्रणाली से अवगत सूत्रों ने बताया कि देश में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में विधि आयोग की रिपोर्ट तैयार है और इसे विधि मंत्रालय को सौंपा जाना है। उन्होंने बताया कि आयोग का अध्यक्ष नहीं होने की वजह से रिपोर्ट सौंपी नहीं जा सकती। जस्टिस (सेवानिवृत्त) रितु राज अवस्थी 22वें विधि आयोग के अध्यक्ष थे, लेकिन उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था लोकपाल का सदस्य नियुक्त कर दिया। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति ने मार्च में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर रिपोर्ट सौंपी थी। निवर्तमान आयोग ने पिछले वर्ष समान नागरिक संहिता पर नए सिरे से विचार-विमर्श शुरू किया था। जब रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया जा रहा था, उसी समय जस्टिस अवस्थी को लोकपाल नियुक्त कर दिया गया।

सरकार ने 22वें विधि आयोग का गठन 21 फरवरी, 2020 को तीन वर्ष की अवधि के लिए किया था। जस्टिस अवस्थी ने नौ नवंबर, 2022 को अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी 2023 में 22वें विधि आयोग का कार्यकाल बढ़ा दिया था।

स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता के लिए नए सिरे से जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश के लिए धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता समय की मांग है। उन्होंने मौजूदा कानूनों को सांप्रदायिक नागरिक संहिता करार देते हुए उन्हें भेदभावपूर्ण बताया था और कहा था कि ऐसे कानून जो देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटते हैं तथा असमानता का कारण बनते हैं, उनके लिए आधुनिक समाज में कोई जगह नहीं है। राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि पूरे भारत में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है। समान नागरिक संहिता भाजपा के चुनावी घोषणापत्रों में प्रमुख मुद्दा रहा 

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