क्या कांग्रेस के इस दांव से फंस जाएगी भाजपा?
सियासी जानकार मानते हैं कि मध्यप्रदेश में जिन 94 सीटों पर टिकट दिया जाना बाकी है, उनमें महज साठ सीटें ही ऐसी हैं, जिन पर अब कांग्रेस की ओर से सजाई जा रही फील्डिंग में भाजपा काउंटर कर सकती है…
जातीय जनगणना के बाद कांग्रेस ने जिस तरीके से इस आधार पर अपनी सियासी पिच तैयार करनी शुरू की है, उसे फिलहाल शुरुआती दौर में मध्यप्रदेश में भाजपा दबाव में आ सकती है। दरसअल मध्यप्रदेश में अब तक भाजपा ने जितनी भी सीटें घोषित की हैं, उसमें जातिगत आधार पर कांग्रेस ने अब भाजपा को घेरने की तैयारी कर रही है। हालांकि सियासी रूप से भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग की पिच पर टिकटों का बंटवारा तो किया है, लेकिन मध्यप्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या के लिहाज से अभी सीटों का बैलेंस नहीं बना है। सियासी जानकार मानते हैं कि मध्यप्रदेश में जिन 94 सीटों पर टिकट दिया जाना बाकी है, उनमें महज साठ सीटें ही ऐसी हैं, जिन पर अब कांग्रेस की ओर से सजाई जा रही फील्डिंग में भाजपा काउंटर कर सकती है। क्योंकि 94 में 34 सीटें तो आरक्षित कोटे की अभी बाकी हैं।
मध्यप्रदेश की 230 सीटों में 136 सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। भाजपा ने जो सीटें घोषित की हैं, उसमें 31 फ़ीसदी सीटें सवर्ण के कोटे में गई हैं, जिसमें 48 सीटें शामिल हैं, जबकि 40 सीटें ओबीसी के हिस्से में गई हैं, जो कि अब तक के दिए गए टिकट में 29 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है। अब तक के दिए गए टिकटों में 22 फ़ीसदी टिकट यानी की 30 सीटें आदिवासी समुदाय के हिस्से में आई हैं। जबकि 13 फीसदी सीटें यानी 18 सीटें दलितों के हिस्से में आई हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि अब तक जितनी भी सीटें भाजपा ने घोषित की हैं, वह सोशल इंजीनियरिंग के लिहाज से तो ठीक हैं। लेकिन जिस आधार पर कांग्रेस सियासत को आगे बढ़ा रही है, उस लिहाज से यह भाजपा के लिए किसी न किसी स्तर पर ये विपरीत और सियासी रूप से असहज करने वाली परिस्थितियां भी पैदा कर रही हैं।
राजनीतिक जानकार निर्मलकांत शर्मा कहते हैं कि मध्यप्रदेश में अब सिर्फ 94 सीटों पर ही टिकट दिए जाने बाकी हैं। इन 94 सीटों में 34 सीटें तो सुरक्षित श्रेणी की हैं। फिर बचती हैं 60 सीटें। अब इन 60 सीटों में ही भाजपा को अपने सियासी समीकरण और जातीय जनगणना के आधार पर घेरे जाने वाले सवालों का जवाब देते हुए टिकटों का बंटवारा करने का दबाव है। शर्मा कहते हैं कि वैसे तो भाजपा जिस तरीके से टिकटों का बंटवारा कर रही है, वह अपने परंपरागत वोट बैंक को साधते हुए ही कर रही है। उनका कहना है कि भाजपा का ठाकुर और ब्राह्मण वोट बैंक शुरुआत से ही रहा है। भले ही वोट प्रतिशत में सवर्ण का अन्य जातीय समीकरणों के आधार पर मध्यप्रदेश में कम हो। लेकिन जो टिकट बंटवारा हुआ है, उसमें 48 सीटें ठाकुर, ब्राह्मण और जैन को दी गई हैं।