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उत्तराखंड

पर्वतीय क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा देने से महिला किसानों को होगा फायदा

रुद्रपुर/ पंतनगर। जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय के रतन सिंह प्रेक्षागृह में राष्ट्रीय महिला आयोग और ग्राम्य विकास ने संयुक्त रूप से महिला किसान और महिला दैनिक मजदूरों के पलायन विषय पर संगोष्ठी आयोजित की। मुख्य अतिथि कृषि मंत्री गणेश जोशी ने संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए कहा कि बेटियों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिविर के माध्यम से 25 हजार से अधिक किसानों को जोड़ा गया है। उत्तराखंड की करीब 90 प्रतिशत जनसंख्या कृषि आधारित है और इनमें महिला शक्ति का सबसे बड़ा सहयोग है।

उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए पंचायत में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया था और उत्तराखंड में उसे बढ़ाकर 50 फीसदी किया है। कृषि विभाग की ओर से आत्मा योजना के तहत महिला समूह को हर वर्ष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा देने से महिला किसानों को लाभ मिलेगा। उन्होंने श्री अन्न के लाभ की जानकारी दी। कहा कि कृषि विकास में विशेषकर फसल उत्पादन, पशुधन, बागवानी, मत्स्य पालन में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कृषि क्षेत्र में स्व-रोज़गार, अवैतनिक सहायता या मजदूरी श्रमिक के रूप में काम करने वाली महिलाओं का अनुपात अधिक है।

रुद्रपुर/ पंतनगर। जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय के रतन सिंह प्रेक्षागृह में राष्ट्रीय महिला आयोग और ग्राम्य विकास ने संयुक्त रूप से महिला किसान और महिला दैनिक मजदूरों के पलायन विषय पर संगोष्ठी आयोजित की। मुख्य अतिथि कृषि मंत्री गणेश जोशी ने संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए कहा कि बेटियों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिविर के माध्यम से 25 हजार से अधिक किसानों को जोड़ा गया है। उत्तराखंड की करीब 90 प्रतिशत जनसंख्या कृषि आधारित है और इनमें महिला शक्ति का सबसे बड़ा सहयोग है।

उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए पंचायत में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया था और उत्तराखंड में उसे बढ़ाकर 50 फीसदी किया है। कृषि विभाग की ओर से आत्मा योजना के तहत महिला समूह को हर वर्ष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा देने से महिला किसानों को लाभ मिलेगा। उन्होंने श्री अन्न के लाभ की जानकारी दी। कहा कि कृषि विकास में विशेषकर फसल उत्पादन, पशुधन, बागवानी, मत्स्य पालन में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कृषि क्षेत्र में स्व-रोज़गार, अवैतनिक सहायता या मजदूरी श्रमिक के रूप में काम करने वाली महिलाओं का अनुपात अधिक है।

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