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उत्तराखंड

नहीं थमेंगे महिलाओं के कदम, बच्चे सरकार संभाल लेगी…अब यहां क्रेच के सुविधा मिलने से बड़ी राहत

आंगनबाड़ी पालना केंद्र की शुरुआत पांच अक्तूबर से हरिद्वार और सेलाकुई से होगी। दिन में किसी भी समय महिलाएं निशुल्क बच्चों को क्रेच में छोड़ सकती हैं।

घर में बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी के चलते महिलाएं नौकरी या व्यवसाय करना तो दूर महज आधे-एक घंटे के लिए बाजार तक नहीं जा पाती हैं। ऐसी महिलाओं के लिए नवरात्रों के मौके पर विशेष उपहार मिलने जा रहा है।

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग पांच अक्तूबर को हरिद्वार और सेलाकुई में आंगनबाड़ी कम क्रेच (पालना केंद्र) की शुरुआत करने जा रहा है, जहां सुबह से शाम तक किसी भी समय, कितनी भी देर, छह महीने से लेकर छह साल तक के बच्चों को छोड़कर बेफिक्र जाया जा सकता है, वो भी बिलकुल निशुल्क। इन पालना केंद्रों पर बच्चों के लिए तीन समय का आहार, सोने की व्यवस्था, खिलौने, झूले, शिशुओं व बच्चों के लिए शौचालय आदि सुविधाएं मिलेंगी। जरूरत पड़ने पर कपड़े और डायपर तक देने की व्यवस्था है।

प्राइवेट क्रेच की सुविधाएं महंगी पड़ती
ये दोनों पालना केंद्र फिलहाल नजीर के तौर पर शुरू किए जा रहे हैं, जिसका उद्घाटन हरिद्वार के पालना केंद्र से होगा। सेलाकुई भी साथ-साथ चलेगा। आने वाले समय में राज्य के पांच जिलों में 32 पालना केंद्र और तैयार किए जाएंगे। जहां महिलाएं दिनभर के लिए या कुछ घंटों के लिए अपने बच्चों को छोड़कर कहीं भी जा सकती हैं। प्राइवेट क्रेच की सुविधाएं महंगी पड़ती हैं जहां कई बार माता को बच्चों का आहार भी टिफिन में छोड़कर जाना प़ड़ता है लेकिन सरकारी पालना में न सिर्फ आहार की सुविधा निशुल्क होगी, बल्कि बच्चे की हर आवश्यकता का ख्याल रखा जाएगा।

जरूरत पड़ने पर किराए के भवन में चलाएंगे क्रेच

सरकार की योजना है कि जिन आंगनबाड़ी केंद्रों में पर्याप्त जगह है, उन्हें ही पालना के रूप में तैयार किया जाएगा। जिन जगहों पर पालना की बड़ी आवश्यकता है और आंगनबाड़ी केंद्र में जगह कम है तो वहां किराए के भवन में पालना केंद्र शुरू करने की योजना है। केंद्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अलावा सहायिका और प्रशिक्षित क्रेच वर्कर भी रखे जाएंगे।

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