60 साल की उम्र में भी दिमाग रहेगा स्वस्थ, बस करिए ये एक काम
उम्र बढ़ने के साथ कई प्रकार की शारीरिक और न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम काफी बढ़ जाता है। यही कारण कि इस उम्र के बाद अधिकतर लोगों को याददाश्त की कमी और निर्णय लेने की क्षमता में परेशानी होने लगती है। अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसे रोगों का खतरा भी 60 की उम्र के बाद काफी बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इस तरह के जोखिमों से बचाव के लिए जरूरी है कि आप कम उम्र से ही इसके लिए प्रयास करते रहें। आहार और दिनचर्या को ठीक रखकर आप मस्तिष्क से संबंधित इन समस्याओं के खतरे को कम कर सकते हैं।
इसी से संबंधित एक हालिया शोध में वैज्ञानिकों ने बताया कि युवावस्था से ही अगर दिनचर्या को ठीक रख लिया जाए तो यह भविष्य में अल्जाइमर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को कम करने वाली हो सकती है। इस अध्ययन में नियमित व्यायाम की आदत बनाने पर जोर दिया गया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर आप रोजाना 20-30 मिनट के व्यायाम की आदत बना लेते हैं तो यह संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।
व्यायाम से अल्जाइमर रोग में मिलता है लाभ
पीर रिव्यूड साइंटफिक जर्नल सेल में हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि जब हम व्यायाम करते हैं तो इससे आइरिसिन नामक हार्मोन का उत्पादन होता है जिसे अल्जाइमर जैसी बीमारियों के खतरे को कम करने वाला पाया गया है।
आइरिसिन हार्मोन, नेप्रिल्सिन को बढ़ाता है जो मस्तिष्क को क्षति पहुंचाने वाले असामान्य प्रोटीन अमाइलॉइड बीटा से मुकाबला करता है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि इस प्रोटीन की अधिकता अल्जाइमर के जोखिम को बढ़ाने वाली हो सकती है। मसलन अगर आप व्यायाम की आदत बनाते हैं तो यह इस प्रकार के जोखिमों को कम करने में आपके लिए सहायक है।
आइरिसिन हार्मोन का मस्तिष्क पर असर
अध्ययनकर्ता कहते हैं, इस शोध की रिपोर्ट से ये तो साबित नहीं होता है कि व्यायाम करने से अल्जाइमर के रोगियों की स्थिति में सुधार होता है। हालांकि यह एक तरीका जरूर है जिससे कि आप अपने जोखिमों को काफी हद तक कम कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि व्यायाम करने से मेटाबॉलिज्म मार्करों में सुधार होता है।
यह अध्ययन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पता चलता है कि आईरिसिन, किस प्रकार से इंफ्लामेशन को कम करने में मददगार हो सकता है और अमाइलॉइड बीटा को ठीक करने में मदद करता है। वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती इस रोग की स्थिति से बचाव में इन तथ्यों को समझने से मदद मिल सकती है।