पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन के नाम पर खुल रहे रिजॉर्ट्स, होटलों में हो रहे देह व्यापार,शराबखोरी,ड्रग्स कारोबार का घिनौना कांड
अंकिता हत्याकांड, उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन के नाम पर खुल रहे रिजॉर्ट्स, होटलों में हो रहे देह व्यापार,शराबखोरी,ड्रग्स कारोबार करने वाले रसूखदारो की काली करतूत का घिनौना कांड है। पहाड़ों की संस्कृति को आघात पहुंचाने वाले,इन राजनीतिक, प्रशासनिक,आर्थिक संरक्षण प्राप्त समाजसेवियो का मुखौटा ओढ़े राक्षसों से उत्तराखंड की बहू बेटियों की अस्मिता को बचाने के लिए खुद यहां के नागरिकों को ही पहल करनी होगी।क्योकि अपराधियो को कानून व्यवस्था का डर ही नही रहा है।जघन्य हत्याओं,बलात्कार के मामलों में राजस्व पुलिस व्यवस्था मूकदर्शक बनकर रह गई है। हाल के 4 वर्षों में हुए 16 हत्याकांड में अपराधियों पर तत्काल कार्यवाही ना होना इनकी मिलीभगत,लापरवाही लाचारी के नमूने हैं।
अपराधियों पर कठोर नियंत्रण हेतु संसाधनों से लैस नियमित पुलिस को जांच और कार्यवाही के अधिकार शीघ्र दिए जाने जनहित में हैं। इसलिए उत्तराखंड की सरकार को तत्काल नीतिगत निर्णय लेने चाहिए। उपरोक्त विचार संयुक्त नागरिक संगठन द्वारा (व्हाट्सएप के माध्यम से संपन्न) संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किए गए। इनमें राज्य आंदोलनकारी, पूर्व सैनिक, एडवोकेट, शिक्षा विद, सेवानिवृत्त अधिकारी, महिला समाजसेवी आदि शामिल थे। संवाद में शामिल लोगों ने हत्याकांड की कवरेज कर रहे पत्रकारों को धमकाने की भी भर्त्सना करते हुए कहा कि अपराधियों के हौसले बुलंद होना हमारी राजनीतिक, प्रशासनिक व्यवस्थाओं को खुली चुनौती है।
भागीदारों ने सत्ताधारी नेताओं तथा आरोपियों के विरुद्ध कोई सशक्त आवाज ना उठाए जाने पर भी रोष व्यक्त किया। कहा भाजपा का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान खोकला सिद्ध हुआ है। वक्ताओं ने अंकिता कांड को पूरे देश मे मोदी सरकार की छवि को धूमिल करने वाला बताया।संवाद कार्यक्रम में जीएस जस्सल,दलीप शर्मा, एडवोकेट रेनू डी सिंह, विक्की पैट्रिक, प्रोफेसर बीपी डंगवाल, जगमोहन सिंह नेगी, आरिफ खान, दिनेश भंडारी, इंदु नौडियाल, आशा टम्टा, गुलिस्ता खानम, डॉ अजीत गैरोला, जगमोहन मेंदीरत्ता, मनोज ध्यानी, ब्रिगेडियर के जी बहल,सुशील त्यागी, अमरजीत सिंह भाटिया, जसविंदर कौर जस्सल, आदि शामिल थे। प्रेषक सुशील त्यागी।