साल 2050 तक 50% बढ़ सकते हैं स्ट्रोक से मौत के मामले,
स्ट्रोक, वैश्विक स्तर से मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में हर साल 15 मिलियन लोगों को स्ट्रोक होता है इनमें से 5 मिलियन (50 लाख) की मृत्यु हो जाती है और अन्य स्थायी रूप से विकलांगता के शिकार हो जाते हैं। 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में स्ट्रोक को कुछ दशकों पहले तक असामान्य माना जाता था हालांकि समय के साथ इस आयु वर्ग वालों में भी जोखिम काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को लाइफस्टाइल-आहार को ठीक रखकर स्ट्रोक से बचाव के लिए प्रयास करते रहने की सलाह देते हैं।
स्ट्रोक के बढ़ते जोखिमों की रोकथाम और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने और स्ट्रोक के शिकार लोगों को बेहतर देखभाल सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से हर साल 29 अक्तूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है।
एक हालिया रिपोर्ट में अध्ययनकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि जिस तरह से दुनियाभर में स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा है, ऐसे में आशंका है कि साल 2050 तक स्ट्रोक से मौत के मामलों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
स्ट्रोक से मौत का जोखिम
लैंसेट न्यूरोलॉजी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अगले कुछ दशकों में वैश्विक स्तर पर स्ट्रोक से मरने वाले लोगों की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि आने की आशंका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि युवा लोगों और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में इसका जोखिम और भी अधिक देखा जा रहा है।
आज के समय में स्ट्रोक दुनियाभर में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है इतना ही नहीं स्ट्रोक के कारण हर साल लाखों लोगों में विकलांगता, डिमेंशिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी अधिक होता है, जिससे क्वालिटी ऑफ लाइफ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।