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तो दिखाएंगे, समृद्ध भारतीयों की नई पौध में शानो-शौकत से जीने की चाह; नए व्यवसाय पनपने से बदलाव

देश में नए तरह के व्यवसाय पनपने से समृद्ध भारतीयों की नई पौध जन्मी है, जिनकी क्रय शक्ति ज्यादा है और वे शानो-शौकत से जीना चाहते हैं।

जब कोई देश तरक्की के रास्ते पर चलने लगता है, तो वहां के पैसे वाले लोगों के जीने का तरीका ही बदल जाता है। वे शानो-शौकत की जिंदगी जीते हैं और खूब खर्च भी करते हैं। ऐसे में विलासिता और बड़े ब्रांड के सामान की बिक्री बढ़ जाती है। पुरुषों की कलाइयों पर महंगी घड़ियां चमकने लगती हैं, तो महिलाओं के हाथों में महंगे हैंडबैग होते हैं। स्वदेशी कारें उनकी पसंद नहीं होती हैं, बल्कि मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू और यहां तक कि लैंबोर्गिनी उनकी पसंद हो जाती हैं। मध्य वर्ग फ्लैटों से निकल कर प्रीमियम मकान या फिर पेंट हाउस खरीदने लगता है।

ये सारी बातें इस सदी के शुरू में चीन में खूब देखने में आईं। कहते हैं कि जब पैसा आता है, तो वह सिर चढ़कर बोलता है। दुनिया का हर नामी ब्रांड वहां अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा था। इसी तरह नब्बे के दशक में जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई, तो यहां भी बदलाव दिखने लगे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें बहुत तेजी आई है। कभी एक लैंडलाइन फोन के लिए धक्के खाने वाला शहरी भारतीय आज लाखों रुपये के मोबाइल फोन चमकाता दिख जाएगा।

छोटी-सी मारुति या हुंडई की कारों में संतुष्ट रहने वाला भारतीय आज धड़ल्ले से लग्जरी कारें खरीद रहा है। वर्ष 2023 में भारत में हाई एंड कारों की बिक्री में उसके पिछले साल की तुलना में 21 फीसदी का इजाफा हुआ, जो एक रिकॉर्ड है। यह संख्या लगातार बढ़ रही है और समृद्ध लोगों के रुझान बता रही है। लैंबोर्गिनी कारों की कीमतें साढ़े तीन करोड़ से लेकर पौने नौ करोड़ रुपये तक होती है। वर्ष 2023 में भारत में उसकी बिक्री बढ़कर 100 तक पहुंच गई।

इसी तरह सुपर बाइकों का बाजार भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। दस-दस लाख रुपये की सुपर बाइकें सड़कों पर दौड़ती दिख रही हैं। नई समृद्धि से प्रीमियम सेगमेंट के मकानों की मांग में भारी बढ़ोतरी हुई है और अब रियल एस्टेट में लग्जरी मकानों की भरमार होती जा रही है। बड़े डेवलपर करोड़ों रुपये कीमत वाले मकान बनाते जा रहे हैं। इसका एक उदाहरण दिल्ली के समीप नोएडा में दिखाई पड़ रहा है,
जहां कभी एक करोड़ रुपये के मकान बहुत ही कम दिखते थे और उसे प्रीमियम हाउसिंग माना जाता था, लेकिन अब वहां दस-दस करोड़ रुपये के मकान बनने लगे हैं। गुरुग्राम तो इसमें हमेशा आगे रहा है और वहां तो 30-35 करोड़ तक के मकान बन गए हैं और प्रीमियम सेगमेंट के मकानों की बाढ़ आ गई है।

भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में तो छोटा-सा प्लॉट भी अरबों रुपये में बिकता है। एक बड़ी रियल एस्टेट कंपनी के सीईओ ने बताया कि वहां इस समय तीन करोड़ से लेकर 50 करोड़ रुपये तक के मकानों की खूब मांग है। जिन लोगों ने पिछले कुछ समय में अच्छा-खासा पैसा कमा लिया है, वे खुलकर जिंदगी जीना चाहते हैं। उनका मोटो है-लिव लाइफ किंग साइज। आंकड़े बता रहे हैं कि 2023 में लग्जरी मकानों की बिक्री में 2022 की तुलना में 81 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। लग्जरी मकानों की मांग इतनी है कि गुरुग्राम के एक शीर्ष डेवलपर ने सिर्फ तीन दिनों में 72 अरब रुपये के मकान बेच दिए। इनमें अल्ट्रा लग्जरी मकान भी शामिल हैं, जिनकी मांग बरकरार है।

महानगरों में एक नया ट्रेंड आया है विला का। कई डेवलपर इस सेगमेंट में प्रवेश कर गए है, क्योंकि खरीदारों की मांग बढ़ती जा रही है। लग्जरी मकानों की यह चाहत अपने रुतबे को बढ़ावा देने की एक कोशिश है। अति समृद्ध लोगों की लग्जरी मकानों में जबर्दस्त दिलचस्पी न केवल प्रतिष्ठा का विषय है, बल्कि बढ़िया निवेश का रास्ता भी। इसलिए एक से बढ़कर एक लग्जरी मकान देखने में आ रहे हैं।

लग्जरी सामान बनाने वाली कंपनियां, जैसे गुच्ची, लुई वितो, क्रिश्चियन डीओर, शानेल, प्रादा वगैरह जो हैंड बैग बनाती हैं, उनकी कीमत लाखों में होती है और अब इनका इस्तेमाल करने वाली महिलाएं आपको भारतीय महानगरों में खूब दिखेंगी। यह उनका स्टेटस दिखाने का एक प्रयास भर है। भारत में लग्जरी घड़ियों का चलन रहा है और आने वाले समय में यह और बढ़ेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि देश में नए तरह के बिजनेस पनपे हैं। टेक्नोलॉजी ने इनमें बहुत साथ दिया है। देश में सैकड़ों स्टार्ट-अप को भारी सफलता मिली है, वेंचर कैपिटल कंपनियां काफी सक्रिय हैं। इन्हीं वजहों से समृद्ध भारतीयों की नई पौध सामने आई है, जिनकी क्रय शक्ति बहुत है और वे राजाओं की तरह शानो-शौकत से रहना चाहते हैं।

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