उत्तराखंड

वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 में प्रस्तावित संशोधन में निजी भूमि पर उगे पेड़ों के कटान की आजादी मिलने से भू माफियाओं द्वारा ज्ञापन

वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 में प्रस्तावित संशोधन में निजी भूमि पर उगे पेड़ों के कटान की आजादी मिलने से भू माफियाओं द्वारा अनुचित लाभ लिए जाने की आशंकाओं को लेकर दून की सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंगल को वन मुख्यालय में ज्ञापन दिया। पर्यावरण प्रेमियों ने मांग की कि जरूरतमंद निवासियों को अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए पूर्ववत अनुमत विभागीय अनुमति की प्रक्रियाओं को अधिक सरल, समयबद्ध तथा ऑनलाइन किया जाना जरूरी है। क्योंकि इनमें अनावश्यक देरी भी जानबूझकर की जाती है।प्रमुख वन संरक्षक ने कहा कि अधिनियम में संशोधन के संबंध में नागरिकों के सुझावों पर भी विचार करते हुए कार्यवाई की जायेगी।उन्होंने हरेला पर्व पर वृक्षारोपण के विभागीय प्रयासों में सामाजिक संस्थाओं के सहयोग लिए जाने का भी आश्वासन दिया।ज्ञापन देने वालो मे संयुक्त नागरिक संगठन के केजी बहल, सुशील त्यागी,पेंशनर्स संगठन के चौधरी ओमवीर सिंह,सिटीजन फॉर ग्रीन दून के हिमांशु अरोडा,महिला मंच की कमला पंत,निर्मला बिष्ट,समानता मंच के एलपी रतूड़ी, जेपी कुकरेती, आंदोलनकारी मंच के प्रदीप कुकरेती, बैंक इंप्लाइज यूनियन के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन मेंदीरत्ता, वेस्टवारियर्स के नवीन सडाना, देवभूमि युवा संगठन के आशीष नौटियाल, हिमालयन पर्यावरण सोसाइटी के जगदीश बावला, क्षत्रिय चेतना मंच के आरएस कैंतुरा, आर टी आई कलब के आरएस धुन्ता, रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन के डॉक्टर महेश भणडारी,तथा दिनेश, सोशल जस्टिस की आशा टम्टा, एसपी नौटियाल, प्रकाश नागिया, सुरेंद्र सिंह सजवान,विशंभर नाथ बजाज,मुकेश नारायण शर्मा, अरुणा थपरियाल,द्वारका बिष्ट,आरिफ वारसी,मुकेश नारायण शर्मा,सहित अन्य समाजसेवी भी उपस्थित थे। प्रेषक सुशील त्यागी सचिव संयुक्तनागरिकसंगठन देहरादून।

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