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उत्तराखंड

महिला आरक्षण विधेयक पर फंसा पेच, सरकार और राजभवन की राय 

उत्तराखंड में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के विधेयक पर सांविधानिक पेच फंस गया है। इस पर सरकार और राजभवन की राय एक नहीं है। राजभवन के विधि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का कानून केवल देश की संसद में ही पारित हो सकता है।

उत्तराखंड विधानसभा में महिला आरक्षण बिल पास हुए एक महीने से अधिक का समय हो गया है लेकिन अब तक यह कानून नहीं बन पाया है। राजभवन गए 14 में से अधिकांश विधेयक मंजूर हो चुके हैं लेकिन महिला आरक्षण का मामला अभी लटका हुआ है। सूत्र बताते हैं कि महिला आरक्षण को लेकर राजभवन और सरकार के विधि सलाहकारों की बैठक भी हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया। 

दरअसल, राज्य सरकार के लिए महिला आरक्षण एक राजनीतिक मुद्दा है लेकिन इसे सांविधानिक दर्जा देने में कई कानूनी पेच हैं। यही वजह है कि राज्य में महिला आरक्षण केवल शासनादेश से दिया जा रहा था। अब तक किसी भी सरकार ने इसे विधेयक के रूप में विधानसभा में लाने की हिम्मत नहीं की। पिछले साल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर महिला आरक्षण को असांविधानिक बताकर इस पर रोक लगा दी थी। तब पहली बार धामी सरकार ने इसे कानूनी जामा पहनाने की कसरत शुरू की।

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