उत्तराखंड में ऊंची चोटियों की चढ़ाई करने वाले ट्रैकरों और ट्रैकिंग करने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिए सरकार ट्रैकिंग नीति बना रही है। पर्यटन विभाग की ओर से नीति का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। नीति में ट्रैकरों के पंजीकरण के साथ ही दल के लीडर को एक सेटेलाइट फोन भी दिया जाएगा।
जिससे पर्वतारोहण दल के किसी मुश्किल में फंसने या लापता होने की स्थिति में आसानी से लोकेशन का पता लग सकेगा। इसके अलावा पोर्टरों को प्रशिक्षण और अनुभव के आधार पर लाइसेंस देने के लिए नीति में प्रावधान किया जा रहा है।
प्रदेश में हर साल देश दुनिया के पेशेवर ट्रैकरों के अलावा साहसिक पर्यटन में रुचि रखने वाले पर्यटक ट्रैकिंग के लिए आते हैं। कई बार पर्वतारोहण दल के साथ घटनाएं हुई हैं। अब सरकार ट्रैकिंग के लिए आने वाले पर्यटकों और ट्रैकरों की सुरक्षा के लिए नीति बना रही है। वर्ष 2003-04 में पर्वतारोहण के लिए गाइडलाइन बनाई थी।
जो पेशेवर ट्रैकरों के लिए ही लागू थी। वर्तमान में सरकार का विशेष ध्यान साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर है। जिससे बाहरी क्षेत्रों के पर्यटक ट्रैकिंग के लिए उत्तराखंड आ रहे हैं। ट्रैकिंग के लिए प्रदेश में अभी कोई नीति नहीं है। ट्रैकिंग करने वाले पर्यटक बिना किसी सूचना के ही ट्रेक रूट पर निकल जाते हैं। कोई हादसा होने पर सरकार व प्रशासन के पास भी ट्रैकिंग दल का कोई ब्योरा नहीं रहता है।पर्यटन विभाग के माध्यम से ट्रैकिंग नीति तैयार की जा रही है। जिसमें प्रदेश में पर्वतारोहण करने वाले ट्रैकरों व ट्रैकिंग करने वाले पर्यटकों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाएगा। सरकार की ओर से पर्वतारोहण दल के लीडर को सैटेलाइट फोन सरकार की उपलब्ध कराया जाएगा।