16 की उम्र में पढ़ाई छोड़कर करनी पड़ी फिल्में
अभिनेत्री तनुजा मुखर्जी किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। अपने दौर की बेहतरीन अदाकाराओं में शुमार तनुजा एक्ट्रेस काजोल की मां भी हैं। तनुजा खुद भी एक फिल्मी बैकग्राउंड से ताल्लुक रखती हैं. तनुजा की मां शोभना समर्थ भी एक अभिनेत्री थीं और उनके पिता प्रोड्यूसर कुमारसेन समर्थ थे। आज तनुजा के जन्मदिन पर हम आपको उस घटना के बारे में बताएंगे जिसके चलते 16 साल की उम्र में ही तनुजा को पहली फिल्म मिल गई।
तनुजा 23 सितंबर 1943 को पैदा हुईं थीं। तनुजा ने कम उम्र में ही अपने अभिनय से सभी को हैरान कर दिया। ‘रात अकेली है, बुझ गए दिए’ जैसे गाने में आपने तनुजा को सिडक्टिव अवतार में भी देखा होगा और देव आनंद के गाने ‘ये दिल न होता बेचारा’ में तनुजा को गुस्सा दिखाते भी देखा होगा। दोनों ही गाने आज तक मशहूर है। कहा जाता है तनुजा को परिवार की माली हालत की वजह से 16 साल की उम्र में ही डेब्यू करना पड़ा था।
उस समय वो स्विट्जरलैंड के सेंट जॉर्ज स्कूल में पढ़ती थीं। तब तनुजा के घर की माली हालत ठीक नहीं रही और उन्हें घर वापस आना पड़ा। उनकी मां ने उन्हें कहा कि या तो वो इसका दुख मना सकती हैं या फिर हिंदी सिनेमा में काम कर सकती हैं। यह सुनकर तनुजा ने हिंदी फिल्मों को चुना। उसके बाद 16 साल की उम्र में 1960 में उनकी पहली फिल्म ‘छबीली’ रिलीज हुई और इसके बाद 1962 में ‘मेम दीदी’।
तनुजा की डेब्यू फिल्म ‘छबीली’ के दौरान का उनका एक किस्सा काफी मशहूर है। दरअसल, फिल्म के एक सीन में तनुजा को रोना था लेकिन वो बार-बार हंस रही थीं। तनुजा ने केदार शर्मा से कहा कि आज मेरा रोने का मूड नहीं है। इसी बात से नाराज होकर केदार शर्मा ने तनुजा को जोरदार तमाचा जड़ दिया। ये देखकर पूरी टीम सन्न रह गई। तनुजा ने पूरी बात मां को बताई तो उल्टा तनुजा को एक और थप्पड़ जड़ दिया। क्योंकि वो तनुजा के व्यवहार से अच्छी तरह वाकिफ थीं। फिर शोभना, तनुजा को वापस सेट पर लेकर गईं और केदार शर्मा से कहा कि अब ये रो रही है, शूटिंग शुरू कर दीजिए। इसके बाद तनुजा ने परफेक्ट शॉट दिया।