वैज्ञानिक भी हैरान, औषधीय गुणों पर पड़ेगा असर, इन बीमारियों में है फायदेमंद

उत्तराखंड में बुरांश का फूल समय से पहले खिलने लगा है। जनवरी महीने में बुरांश का खिलना इसलिए भी हैरत में डाल रहा है क्योंकि फरवरी के अंत में अमूमन तापमान 15 डिग्री के करीब होने पर बुरांश का फूल खिलना शुरू होता है।
बीते चार माह से बारिश न होने के कारण अब इसका असर पेड़-पौधों पर भी पड़ने लगा है। उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश का फूल समय से पहले खिलने लगा है। 1500 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर पाये जाने वाला बुरांश आम तौर पर फरवरी अंत तक खिलता है जो जनवरी की शुरुआत में ही दिखने लगा है। इसकी वजह बारिश और बर्फबारी की कमी मानी जा रही है। तापमान बढ़ने से कोपल भी सूखने लगे हैं।
वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी के रेंज ऑफिसर मदन सिंह बिष्ट का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और तापमान में बढ़ोतरी होने से कई जगह बुरांश का फूल दिसंबर के अंतिम दिनों में ही दिखने लगा था। बुरांश की पुष्पावस्था जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रही है। बुरांश के फूल के लिए एक निश्चित ठंड की अवधि की जरूरत होती है। फरवरी के अंत में अमूमन तापमान 15 डिग्री के करीब होने पर बुरांश का फूल खिलना शुरू होता है। मगर इस बार तापमान बढ़ने से दिसंबर-जनवरी में ही फूल खिल गया है।
जल्दी खिलने से प्रभावित होते हैं बुरांश के गुण
कुमाऊं विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो. ललित तिवारी का कहना है उनके शोध में भी 26 दिन पहले बुरांश खिलने का पैटर्न सामने आया है। फूल खिलने के लिए अनुकूल वातावरण समय से पहले मिल रहा है। इस कारण बीज पहले बन जाएंगे और बारिश बाद में होगी तो रिजनरेशन नहीं हो पाएगी। जल्द खिलने से इसके रंग में थोड़ा बदलाव आया है। साथ ही रसायनिक गुण भी प्रभावित होते हैं। बुरांश का जूस दिल और लिवर के मरीजों के लिए मुफीद होता है। समय से पहले फूल खिलने से इसके औषधीय गुणों पर भी असर पड़ने की संभावना है।
कारोबार पर भी पड़ेगा असर
जूस कारोबारी राजेंद्र मेहरा का कहना है कि बेमौसम बुरांश का फूल खिलने के कारण कारोबार पर भी इसका असर पड़ेगा। बताया कि अमूमन 20 फरवरी के बाद बुरांश का फूल जूस बनाने के लिए लोग लेकर आते हैं, उस समय पर्याप्त मात्रा में बुरांश का फूल आता है। मगर इस बार जनवरी के पहले सप्ताह में ही बुरांश लेकर कुछ लोग पहुंच गए थे, लेकिन यह काफी कम था। बारिश नहीं होने के कारण सभी पेड़ों पर बुरांश पूरी तरह से नहीं खिला है। कोपलें भी पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाए हैं। ऐसे में कारोबार 35 से 40 फीसदी तक कम होने की संभावना है।