विस्फोट के बाद फैक्ट्री के आधा किलोमीटर तक बिखरे पड़े थे शवों के टुकड़े, लोगों ने कपड़ों से ढंके
बस्तीवाले शवों को कपड़ों से ढक रहे थे। फैक्ट्री के पास से गुजरने वाली सड़क से गुजर रहे दोपहिया वाहन चालक भी घायल हो गए। फैक्ट्री का मलबा उड़कर उन्हें लगा। लोहे के 10-15 किलो के एंगल उड़कर खेतों में आ गए थे।
हरदा की पटाखा फैक्ट्री सोमेश फायर वर्क में हुए विस्फोट के बाद आसपास रहने वाले लोगों को लगा कि भूकंप आया हो। घरों के खिड़की के शीशे टूट गए। बर्तन जमीन पर गिर पड़े और कच्चे मकानों की दीवारों में दरारें आ गईं।
फैक्ट्री के आधा किलोमीटर के दायरे में तो भयावह स्थिति है। शवों के टुकड़े बिखरे मिले। कहीं पैर पड़े थे तो कहीं धड़। सड़क से गुजर रहे लोग भी हादसे का शिकार हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हादसे के बाद हरदा में एम्बुलेंस, दमकलों के सायरन ही गूंज रहे हैं। इस घटना का आंखों देखा हाल फैक्ट्री से एक किलोमीटर दूर बेरागढ़ वार्ड में रहने वाले जितेंद्र सैनी ने बताया। यदि उनकी बातों पर गौर करें तो हादसे में बड़ी संख्या में लोग शिकार हुए हैं।
सड़क से गुजर रहे लोग भी हो गए घायल
मैं सुबह घर पर ही था। 11 बजे अचानक धमका हुआ। खिड़की के शीशे टूट गए। बाहर निकल कर देखा तो आसमान में आग का गुबार नजर आया। चारों तरफ धुआं ही धुआं था। लगातार विस्फोट हो रहे थे। फैक्ट्री के आसपास के खेतों मे शवों के टुकड़े बिखरे पड़े थे। किसी का सिर गायब था जो किसी का हाथ।
बस्तीवाले शवों को कपड़ों से ढक रहे थे। फैक्ट्री के पास से गुजरने वाली सड़क से गुजर रहे दोपहिया वाहन चालक भी घायल हो गए। फैक्ट्री का मलबा उड़कर उन्हें लगा। लोहे के 10-15 किलो के एंगल उड़कर खेतों में आ गए थे।
हरदा के आसपास में पैर रखने की जगह नहीं है। फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों के परिजन बदहवास हालत में घूम रहे हैं। फोन लगाकर फैक्ट्री में गए श्रमिकों की सलामती की तसल्ली परिजन कर रहे थे। (जैसा जितेंद्र सैनी ने बताया)