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रोजगार समाचार

कमिश्नर दीपक रावत ने हल्द्वानी में सफलता डिजिटल सेंटर का किया उद्घाटन

डिजिटल की ताकत बहुत बड़ी है, इसने हर क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है। नौकरी पेशे के जो आयाम इसने खोले हैं वो पहले नहीं थे। भारत में ही डिजिटल सेक्टर में ढेरों अपॉरचुनिटी हैं। हम अभी कल्पना भी नहीं कर सकते कि कहां तक इसमें जा सकते हैं। अगर युवा इस बिंदु पर ध्यान देंगे तो निश्चित रूप से वह सफल होंगे। यह बात वीरवार(21 सितम्बर) को अमर उजाला के एडटेक वेंचरकी हल्द्वानी शाखा के उद्घाटन के अवसर पर कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने कही। इस अवसर पर सफलता के सीईओ व सह संस्थापक हिमांशु गौतम, हल्द्वानी सेंटर इंचार्ज पारस आर्या समेत कई गणमान्य मौजूद रहे।

हर सेक्टर में जॉब्स हो रहे मल्टीप्लाई 

इसके आगे कमिश्नर रावत ने कहा कि युवा आज सरकारी नौकरियों की ओर भाग रहे हैं आज के समय में सिर्फ सरकारी नौकरियां ही नहीं हैं, बल्कि हर सेक्टर में जॉब्स मल्टीप्लाई कर रहे हैं। यंग भारत को डिजिटली स्किल्ड कर रहे सफलता प्लेटफॉर्म पर उन्होंने कहा कि आज के समय में हर सरकारी जॉब का डिजिटल एक हिस्सा बन चुका है। स्किल्ड युवाओं को रोजगार के अवसरों को अलग नजरिये से देखना चाहिए। 

आज की तारीख में बहुत लोगों को हैं डिजिटल मार्केटिंग की आवश्यकताएं 

आज की तारीख में डिजिटल मार्केटिंग की आवश्यकताएं ही बहुत लोगों को हैं। हर क्षेत्र में जहां होटल्स हैं, शोरूम्स हैं, सैलून्स हैं उन्हें स्किल्ड युवाओं को डिजिटल मार्केटिंग की सेवाएं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डिजिटल स्किल आजकल बच्चों के करिकुलम का पार्ट बन चुकी है। स्किल इंडिया के तहत भी आज बहुत सी स्कीम चल रही हैं। उसमें डिजिटली स्किल्ड युवाओं को इनरोल किया जा सकता है। इसके अलावा सरकार स्किलिंग के प्रोग्राम एनजीओ बेस पर भी चलाती है। ये एनजीओ गवरमेंट नहीं चलाती लेकिन गवर्नमेंट इन एजीओ को फंड करती है। हर जिले में रोजगार कार्यालय हैं, स्किल का एक अलग विभाग होता है। इन दोनों जगहों पर जाकर युवाओं को अपना पंजीकरण कराना चाहिए।

कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत की सफलता की कहानी 

इस दौरान कुमाऊं कमिश्नर ने अपनी सफलता की पूरी कहानी बताई जिसमें उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में मंसूरी में मेरा जन्म हुआ लेकिन मैं रहने वाला रुद्रप्रयाग का हूं जोकि एक छोटी जगह है। जहां कॅरिअर को लेकर बहुत कुछ था नहीं। लोग उत्तराखंड में सेना को लेकर बहुत जुनून से तैयारी करते हैं। हमारे साथी भी वही कर रहे थे। मेरे पैंरेंट चाहते थे कि देहरादून में जाकर कोचिंग कर ज्वाइन लूं। लेकिन मेरा दिल्ली जाकर पढ़ने का मन था। इस पर मेरा पैरेंट से झगड़ा भी हुआ मैंने कहा कि दिल्ली जाने दीजिये। दिल्ली आ गया। हंसराज कॉलेज से हिस्ट्री ऑनर्स में मैंने ग्रेजुएशन किया। फिर जेएनयू का एंट्रेंस दिया जेएनयू से इतिहास में एमए किया और एमफिल किया। जेएनयू से ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पहले अटेम्प्ट में प्रीलिम्स हो गया लेकिन मेंस के रिजल्ट में इतिहास विषय में नंबर काफी कम आए। जोकि मेरा कोर विषय था। मैंने गंभीरता से उसे लिया। उसके बाद सिविल की परीक्षा पास की, और आईआरएस बना। कस्टम में काम करते हुए सिविल सेवा परीक्षा का मैंने आखिरी अटेम्प्ट दिया, और तब से उत्तराखंड कैडर में हूं।

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