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उत्तराखंड

 इन कारणों से विवाह हो जाएगा शून्य…पति के अलावा पत्नी भी इस आधार पर ले सकेगी तलाक; जानें UCC के प्रावधान

पति के अलावा अब कानूनन पत्नी भी तलाक ले सकेगी। एक से अधिक पत्नी, दुष्कर्म या अप्राकृतिक संभोग के दोषी पति से पत्नी तलाक ले सकती है। क्रूरता, जीवनसाथी से अलग किसी अन्य से संभोग या फिर दो वर्ष तक दूर रखना भी आधार होगा।

समान नागरिक संहिता में पति के साथ पत्नी को भी बराबर का अधिकार दिया गया है। पति की तरह अब पत्नी चाहेगी तो पति से तलाक ले सकेगी। तलाक के लिए पति की एक से अधिक पत्नी, दुष्कर्म का दोषी होने के साथ ही क्रूरता, किसी अन्य के साथ संभोग या लगातार दो वर्ष तक दूरी बनाकर रखना भी आधार बन सकता है।

आपसी सहमति से ऐसे हो सकेगा तलाक
पति-पत्नी मिलकर इस आधार पर तलाक की याचिका प्रस्तुत कर सकेंगे, कि वे एक वर्ष या उससे अधिक समय से अलग-अलग रह रहे हैं। वे एक साथ नहीं रह सके हैं और वे इस बात पर 
परस्पर सहमत हों कि विवाह का विघटन किया जाना चाहिए।

याचिका प्रस्तुत करने के छह माह के बाद और उस तिथि से 18 माह के पूर्व दोनों पक्षकारों की ओर से किए गए प्रस्ताव पर अगर याचिका वापस नहीं ली गई हो। न्यायालय पक्षकारों को सुनने व जांच के बाद तलाक का आदेश जारी कर देगा।

पत्नी इस आधार पर ले सकती है तलाक
पति विवाह के बाद दुष्कर्म या किसी अन्य प्रकार के अप्राकृतिक संभोग के अपराध का दोषी रहा हो।
यूसीसी लागू हो से पहले पति की एक से अधिक पत्नियां हों।

इन कारणों से विवाह हो जाएगा शून्य
नपुंसकता या जानबूझकर विवाहेतर संभोग न करने पर।
याचिकाकर्ता की सहमति बलपूर्वक या धोखाधड़ी से लेने पर।
पत्नी विवाह के समय किसी अन्य पुरुष से गर्भवती हो या पति ने विवाह के समय पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला को गर्भवती किया हो।
पति या पत्नी ने अपने धर्म से अन्य किसी में धर्म परिवर्तन कर लिया हो।
पति या पत्नी मानसिक विकार से पीड़त रहा हो। (मानसिक विकार को यूसीसी में विस्तार से परिभाषित किया गया है)
पति या पत्नी असाध्य संचारी यौन रोग से पीड़ित हो।
भरण पोषण के आदेश का एक वर्ष तक पालन करने में असमर्थ रहा हो।

शादी के एक साल तक तलाक नहीं
यूसीसी में ये प्रावधान भी किया गया कि विवाह के एक वर्ष की अवधि बीतने से पहले तलाक की याचिका स्वीकार नहीं की जाएगी। विशेष कारणों पर ही न्यायालय इसकी अनुमति दे सकेगा। अगर तथ्य छिपाकर याचिका दायर की गई तो न्यायालय उसे निरस्त कर सकेगा। तलाक की याचिका प्रस्तुत करने की अनुमति देते समय न्यायालय विवाह के बच्चों के हित व कल्याण का भी ध्यान रखेगा।

प्रथा, रूढ़ि, परंपरा के तहत तलाक मान्य नहीं
यूसीसी में स्पष्ट किया गया कि इस अधिनियम के अलावा किसी अन्य प्रथा, रूढ़ि, परंपरा के तहत तलाक मान्य नहीं होगा। यूसीसी लागू होने के बाद सभी पुराने विवाह और नए विवाह पर ये नियम लागू होगा।

कानून में ये सजा
विवाह के लिए निर्धारित आयु का मानक पूरा किए बिना शादी करने, प्रतिबंधित रिश्तों में विवाह करने पर छह माह की जेल, 50 हजार का जुर्माना या दोनों होंगे। जेल एक माह तक बढ़ाई जा सकती है।

किसी प्रथा, रूढ़ि या परंपरा के तहत तलाक देने पर तीन साल की जेल और जुर्माना होगा।
पूर्व की पत्नी होने के बावजूद पुनर्विवाह करने पर तीन वर्ष की जेल, एक लाख रुपये तक जुर्माना और सजा छह माह तक बढ़ाई जा सकती है।

यूसीसी में निवासी का अभिप्राय है।
राज्य में कम से कम एक वर्ष से निवास कर रहा हो।
केंद्र व राज्य सरकार के किसी उपक्रम का स्थायी कर्मचारी अथवा राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के तहत स्थायी निवास का पात्र।
केंद्र या राज्य सरकार की ऐसी योजना का लाभार्थी जो राज्य में लागू हो।
विवाह और तलाक के नियम तोड़े तो तीन माह की जेल, 25 हजार का दंड।
विवाह के समय न तो वर की कोई जीवित पत्नी हो न वधू का कोई जीवित पति।
पुरुष ने 21 वर्ष की आयु और स्त्री ने 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो।
विवाह के पक्षकार प्रतिषिद्ध नातेदारी की डिग्रियों के भीतर हों या न हों, तब भी किसी एक को शासित करने वाली प्रथा उनके मध्य विवाह अनुमन्य करती है।
विवाह अनुष्ठान (सप्तपदी निकाह, पवित्र बंधन आनंद कारज) पर कोई प्रतिबंध नहीं।
विवाह व तलाक के पंजीकरण की प्रक्रिया सब रजिस्ट्रार कार्यालय में 60 दिन के अंदर।
इसके लिए महानिबंधक, निबंधक और उप निबंधक की नियुक्ति होगी।
उपेक्षा या मिथ्या कथन के लिए तीन माह का कारावास अथवा 25 हजार का अर्थदंड या दोनों।
विवाह पंजीकरण कराना अनिवार्य, न कराने पर 10 हजार रुपये का अर्थदंड।
उपनिबंधक की निष्क्रियता के लिए 25 हजार रुपये तक का अर्थ दंड।

न्यायिक प्रक्रिया से ही तलाक मान्य।
न्यायिक आदेश पर तलाक किया जा सकेगा। किसी अन्य प्रकार से विवाह विच्छेदन (तलाक) मान्य नहीं होगा।
भरण पोषण और स्थायी निर्वाहिका का अधिकार वर व वधू दोनों को होगा।

पंजीकरण कराएंगे तो मिलेगा योजनाओं का लाभ
विवाह पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए पंजीकरण जरूरी किया गया है।
पंजीकरण के लिए महानिबंधक, निबंधक व उपनिबंधक और अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति।
विवाह के पक्षकारों की धार्मिक परंपराओं और रीतियों के अनुरूप अनुष्ठानों के संबंध की पंजिकाओं में प्रविष्टियां।

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