कितने प्रकार के होते हैं गठिया, लक्षणों से पहचानें, जानें इलाज में फिजियोथेरेपी की भूमिका
अक्सर गठिया यानी अर्थराइटिस होने पर फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि शुरुआत में ही इसकी मदद ली जाए तो समस्या काफी कम हो सकती है। इन दिनों खराब लाइफस्टाइल के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो रही है। हृदय रोग, ब्लड शुगर, बढ़ता वजन आदि जैसी स्वास्थ्य समस्याएं भी गलत जीवनशैली और खराब खानपान के कारण होती हैं। मोटापा बढ़ने के कारण जोड़ों में दर्द भी होने लगता है। यह दर्द इतना अधिक हो जाता है कि हमें घुटना, कमर, टखना आदि को मोड़ने या खड़े होने में मुश्किल होने लगती है। जोड़ों में दर्द के कारण अर्थराइटिस की समस्या हो सकती है। इसलिए अर्थराइटिस के बारे में जानना बेहद जरूरी है।
ओस्टियोआर्थराइटिस
यह सबसे आम और सामान्य प्रकार का अर्थराइटिस है। यह जोड़ों के कार्टिलेज (जोड़ों को चिपकने वाला स्त्रावण पदार्थ) की कमी के कारण होता है। जोड़ों के संरचनात्मक बदलाव और उनमें दर्द एवं स्त्रावण की कमी हो सकती है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस
इसमें शरीर की रोकथाम प्रणाली अपनी ही कोशिकाओं पर प्रहार करती है और इसके परिणामस्वरूप जोड़ों में सूजन और दर्द होता है।
सोरियाटिक अर्थराइटिस
यह आमतौर पर त्वचा पर लाल और सूजन युक्त प्लाक बनाने की समस्या के साथ होता है। यह प्रधान रूप से जोड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन किसी भी भाग में हो सकता है, जैसे कि हड्डियों के पास के स्थान में।