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स्वास्थ्य और सौंदर्य

लगातार आठवें सप्ताह बढ़ी अस्पताल में मरीजों की संख्या, वैक्सीन की प्रभाविकता को लेकर बड़ा दावा

कोरोना का वैश्विक जोखिम, स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। नए वैरिएंट्स एरिस (EG.5) और पिरोला के कारण यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका सहित दुनिया के कई हिस्सों में संक्रमण के मामले बढ़ने की खबर है। नए वैरिएंट्स के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों और उनमें मृ्त्युदर का जोखिम भी अधिक देखा जा रहा है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक  कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती रोगियों की संख्या में लगातार आठवें हफ्ते बढ़ोतरी दर्ज की गई है। दो सितंबर समाप्त हुए सप्ताह की रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में भर्ती रोगियों की संख्या 9% बढ़कर 18,871 पहुंच गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अस्पताल में भर्ती रोगियों में मृत्यु के मामले भी बढ़े हैं, नए वैरिएंट्स की प्रकृति के कारण स्वास्थ्य जोखिम बढ़ता हुआ देखा जा रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं सभी लोगों को कोरोना के जोखिमों को लेकर अलर्ट रहने की आवश्यकता है। नए वैरिएंट्स के खतरे को देखते हुए दो कंपनियों ने वैक्सीन को अपडेट करना भी शुरू कर दिया है। 

नए वैरिएंट्स के कारण सभी में संक्रमण का खतरा

अमेरिकन मेडिकल जर्नल में मंगलवार को प्रकाशित महामारी की वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 16 वर्ष और उससे अधिक उम्र के अनुमानित 97% लोगों को साल 2022 के अंत तक प्राकृतिक संक्रमण या फिर टीकाकरण के माध्यम से कोरोना के प्रति सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा विकसित हो चुकी थी। हालांकि इन नए वैरिएंट्स की प्रकृति शरीर में बनी प्रतिरक्षा को चकमा देने वाली मानी जा रही है, जिसका मतलब है कि नए वैरिएंट्स से किसी को भी सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। 

मौत के जोखिम को नहीं कम करते हैं टीके

इस बीच कोरोना के टीकों की प्रभाविकता को लेकर किए गए एक हालिया अध्ययन में सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने बड़ा दावा किया है। विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि वैक्सीन, कोरोना संक्रमण के खतरे को तो कम कर सकती है पर यह मृत्यु के खतरे से बचाने में कितनी कारगर है, इसका दावा नहीं किया जा सकता है।

सीडीसी द्वारा साझा किए गए डेटा के मुताबिक प्रति मिलियन लोगों में वैक्सीन सिर्फ औसतन एक व्यक्ति में मौत के जोखिम को कम करने वाली हो सकती है। शोधकर्ताओं की टीम ने बताया कि कोरोना वैक्सीन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करके संक्रमण के जोखिमों को तो कम कर सकती है, पर इससे मृत्यु से कितना बचाव हो सकता है, यब बड़ा प्रश्न रहा है।

फेफड़ों की समस्या और मृत्यु का जोखिम

कोरोना और इसके कारण मृत्यु के जोखिमों को लेकर अमेरिका में किए गए एक अन्य अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि यहां मरने वाले ज्यादातर लोगों में फेफड़ों की समस्या देखी गई है। फेफड़ों के कैंसर पर 2023 विश्व सम्मेलन में प्रस्तुत निष्कर्षों के अनुसार, फेफड़ों के कैंसर वाले अमेरिकी रोगियों में सामान्य आबादी की तुलना में कोरोना संक्रमण के कारण मौत का खतरा अधिक था।  

जनवरी 2022 से लेकर मार्च 2023 के दौरान किए गए अध्ययन के अनुसार कोरोना ने न सिर्फ फेफड़े के रोगियों की समस्या बढ़ाई है साथ ही इसके कारण फेफड़े के कैंसर वाले रोगियों में मृत्यु का खतरा भी अधिक देखा गया है।

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