एक नहीं हार्ट में हो सकती हैं कई तरह की बीमारियां
कोरोना महामारी के बाद विश्वभर में हार्ट संबंधी बीमारियां तेजी से सामने आई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की डेटा की मानें तो 2020 में हृदय रोगों से दुनियाभर में 18.6 मिलियन लोगों की मौत हो गई, जो सभी मौतों का 32% है और यह आंकड़ा डराने वाला है।
इधर भारत में बीते दो सालों में अचानक हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है। खासतौर पर कम उम्र के बच्चे और अधिकांश युवा हार्ट संबंधी बीमारी का शिकार हुए हैं और देखने में आया है कि उनकी मृत्यु तक हुई है। भारत में आम धारणा के अंतर्गत हार्ट संबंधी बीमारियों को केवल हार्ट अटैक या फिर कार्डियक अरेस्ट तक ही सीमित करके देखा जाता है लेकिन हार्ट संबंधी बीमारियां केवल हृदय की गति का रुक जाना ही नहीं होता बल्कि ऐसी कई दूसरी समस्याएं भी होती हैं जिनका सीधा संबंधी हार्ट की सेहत से होता है।
ऐसी बीमारियों में रोगी को लक्षण महसूस होते हैं लेकिन उन्हें पता ही नहीं चल पाता है कि उन्हें हार्ट संबंधी बीमारी है और जब तक रोगी इलाज के लिए पहुंचे हार्ट को बहुत क्षति पहुंच सकती है। दरअसल, हृदय रोग केवल लाइफस्टाइल की ही नहीं बल्कि अन्य दूसरे पहलुओं से भी जुड़ी बीमारी है।
बहरहाल, आइए जानते हैं हार्ट संबंधी ऐसी कौन सी बीमारियां हैं जिन पर सामान्य तौर हमारा ध्यान नहीं जाता और इसे हम केवल कॉलेस्ट्रॉल और लाइफस्टाइल से ही जोड़कर देखते हैं। आइए जानते हैं हार्ट की कुछ ऐसी ही बीमारियों के बारे में।
धमनियों में कॉलेस्ट्रॉल जमाव की बीमारी
इसे Coronary Artery Disease यानी की CAD कहा जाता है। यह बीमारी तेल, कॉलेस्ट्रॉल युक्त चीजें और गलत खान-पान व खराब लाइफस्टाइल के चलते होती है। ये बीमारी धमनियों, जिन्हें कोरोनरी धमनियां कहा जाता है जो दिल की धड़कन के पंप को सही रूप से रक्त पहुंचाने का काम करती है, उसमें बैड कॉलेस्ट्रॉल जमा होने के कारण होती है। सामान्य तौर पर हार्ट अटैक का कारण यही होता है।
हार्ट फेलियर या दिल का काम करना बंद कर देना
इसे आसान शब्दों में Heart Failure कहा जाता है। हार्ट फेल्योर एक बीमारी है जिसमें हार्ट का पंप फंक्शन पहले धीमे-धीमे कमजोर हो जाता है और बाद में बंद हो जाता है जिससे शरीर के जरूरी हिस्सों में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है इससे व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
हाइपरटेंशन (Hypertension)
हाइपरटेंशन इसे हाई ब्लड प्रेशर भी कहते हैं जिसके कारण भी हार्ट की फंक्शनिंग पर असर होता है। यह खतरनाक हो जाता है, क्योंकि यह कोरोनरी धमनियों को खराब करता है और हार्ट के जोड़ों को कमजोर कर देता है जिससे हार्ट को क्षति पहुंचती है और कई बार व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
इसके अलावा रैजमियोपैथी ऐसी बीमारी होती है, जिसमें हार्ट की धड़कन गति अनियमित हो सकती है। इसे दूसरे शब्दों में कहें तो हार्ट एक निश्चित समयावधि में उतनी बार नहीं धड़कता है जिसे नॉर्मल कहा जाता है। यह बीमारी गंभीर होती है और कई दूसरी समस्याओं का कारण बनती है।