Home Tuition in Dehradun
Uttarakhand Election Promotion 2024
धर्मसंस्कृति

गणपति आराधना के लिए कैसी होनी चाहिए गणेशजी की मूर्ति, जानिए नियम

सनातन धर्म को मानने वाले सभी लोग अपने शुभ कार्य को शुरू करने से पहले गणेश की पूजा अर्चना अवश्य करते हैं। माना जाता है की गणेश जी को शिव जी से वरदान मिला था जिसके अनुसार सभी देवी देवताओं से पहले उनकी पूजा अर्चना होती है। इसलिए गणेश की पूजा और मंत्रों के उच्चारण का विशेष महत्व है। गणेश जी को सुख समृद्धि और बुद्धि प्रदान करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। इस वर्ष भाद्रशुक्ल चतुर्थी तिथि यानी गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को है। इस दिन घर में मंगल कामना और सुख के लिए लोग अपने घरों में मंगलमूर्ति गणेश की प्रतिमा स्थापित करते हैं और नियम निष्ठा पूर्वक 10 दिनों तक इनकी पूजा करते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार गणेश जी यूं तो हर रूप में मंगलकारी और विघ्न का नाश करने वाले हैं लेकिन अपनी चाहत के अनुसार गणेश की प्रतिमा या तस्वीर घर में लाएंगे तो आपकी मनोकामना जल्दी पूरी होंगी।

गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर जब घर लाएं तो सबसे पहले यह ध्यान रखें कि गणेश जी की सूंड बाएं हाथ की ओर घूमी हुई हो। ऐसी मान्यता है कि दाएं हाथ की ओर मुड़ी हुई सूंड वाली गणेश जी प्रतिमा की पूजा से मनोकामना सिद्ध होने में देर लगती है क्योंकि इस तरह की सूंड वाले गणेश जी देर से प्रसन्न होते हैं।

गणेश जी प्रतिमा में यह भी ध्यान रखें कि गणेश जी सायुज और सवाहन हों। यानी गणेश जी के हाथों में उनका एक दंत, अंकुश और मोदक होना चाहिए।

गणेश जी एक हाथ वरदान की मुद्रा में हो और साथ में उनका वाहन मूषक भी होना चाहिए। शास्त्रों में देवताओं का आवाहन इसी रूप में होता है।

जो लोग संतान सुख की कामना रखते हैं उन्हें अपने घर में बाल गणेश की प्रतिमा या तस्वीर लानी चाहिए। नियमित इनकी पूजा से संतान के मामले में आने वाली विघ्न बाधाएं दूर होती है।

घर में आनंद उत्साह और उन्नति के लिए नृत्य मुद्रा वाली गणेश जी की प्रतिमा लानी चाहिए। इस प्रतिमा की पूजा से छात्र और कला जगत से जुड़े लोगों को विशेष लाभ मिलता है। इससे घर में धन और आनंद की भी वृद्धि होती है।

गणेश जी आसान पर विराजमान हों या लेटे हुए मुद्रा में हों तो ऐसी प्रतिमा को घर में लाना शुभ होता है। इससे घर में सुख और आनंद का स्थायित्व बना रहता है। सिंदूरी रंग वाले गणेश को समृद्धि दायक माना गया है, इसलिए इनकी पूजा गृहस्थों एवं व्यावसायियों के लिए शुभ माना गया है।

वास्तु विज्ञान के अनुसार गणेश जी को घर के ब्रह्म स्थान (केंद्र) में, पूर्व दिशा में एवं ईशान में विराजमान करना शुभ एवं मंगलकारी होता है। इस बात का ध्यान रखें कि गणेश जी की सूंड उत्तर दिशा की ओर हो। गणेश जी को दक्षिण या नैऋत्य कोण में नहीं रखना चाहिए।

इस बात का ध्यान रखें कि घर में जहां भी गणेश जी को विराजमान कर रहे हों वहां कोई और गणेश जी की प्रतिमा न हो। अगर आमने सामने गणेश जी प्रतिमा होगी तो यह मंगलकारी होने की बजाय आपके लिए नुकसानदेय हो जाएगी।

Register Your Business Today

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button