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उत्तराखंड

रामबन में भूमि धंसाव का दायरा बढ़कर हुआ 5 किमी, नेमनाद-तेलगा असुरक्षित; भूविज्ञानियों का गांव में डेरा

इसका दायरा बढ़कर अब पांच किलोमीटर तक पहुंच जाने का अनुमान है। जिला प्रशासन ने मोहल्ला नेमनाद और तेलगा को असुरक्षित घोषित किया है।

इलाके में भारी बारिश के बीच परनोट इलाके में भूमि धंसाव चौथे दिन रविवार को भी जारी रहा। इसका दायरा बढ़कर अब पांच किलोमीटर तक पहुंच जाने का अनुमान है। जिला प्रशासन ने मोहल्ला नेमनाद और तेलगा को असुरक्षित घोषित किया है। साथ ही बिना आदेश के इन क्षेत्रों में न जाने की चेतावनी जारी की गई है।

इलाके में 100 घर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपदा से प्रभावित हैं। 58 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 500 से अधिक लोगों को तीन स्थानों पर सुरक्षित आवास में स्थानांतरित किया जा चुका है। इसबीच भूविज्ञान विशेषज्ञ गांव में डेरा डाले हुए हैं और जमीन धंसने का सही कारण जानने के लिए नमूने एकत्र कर रहे हैं। यह टीम एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेगी।

रामबन के उपायुक्त बसीर उल हक चौधरी ने कहा कि गूल उपमंडल को रामबन मुख्यालय से जोड़ने के लिए एक वैकल्पिक सड़क चालू कर दी गई है और बिजली सहित आवश्यक आपूर्ति की बहाली लगभग पूरी हो गई है। 30 सदस्यीय राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की एक मजबूत टीम प्रभावित आबादी को सुरक्षित स्थानों पर जाने में सहायता प्रदान करने के लिए एसडीआरएफ और स्थानीय स्वयंसेवकों में शामिल हो गई है।

उपायुक्त ने कहा, प्रशासन ने बचाव और राहत उपायों की निगरानी के लिए गांव में एक कैंप कार्यालय स्थापित किया है। प्रशासन पीड़ित परिवारों के भोजन और आश्रय की देखभाल कर रहा है और उनके पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

दो दर्जन मकानों पर अभी भी खतरा
लगातार बारिश के बीच जमीन धंसने का सिलसिला अभी भी जारी है, जिससे बचे हुए दो दर्जन से अधिक घरों पर भी खतरा मंडरा रहा है, जबकि सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि को भी प्राकृतिक आपदा का खामियाजा भुगतना पड़ा है।

भूमि धंसने के कारण क्षतिग्रस्त हुए अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर परनोट गांव निवासी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।जिसके कारणों की जांच भूविज्ञान विशेषज्ञों द्वारा की जा रही है। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) ने मानदंडों के तहत पीड़ित परिवारों को शीघ्र मुआवजा जारी करने की सुविधा के लिए युद्ध स्तर पर नुकसान का आकलन भी शुरू कर दिया है।

मुसलमानों और हिंदुओं की मिश्रित आबादी वाले इस गांव में लोगों ने मुश्किल समय में एक-दूसरे की मदद करते देखा। स्थानीय निवासी मोहम्मद इकबाल कटोच ने बताया, वीरवार शाम जब हमारे घरों में दरारें पड़ने लगीं तो हमने कुछ ही घंटों में सब कुछ खो दिया। आठ लोगों के परिवार के मुखिया कटोच ने कहा कि घर में डेढ़ फुट की दरार पड़ते ही वह पड़ोसी दीपक के साथ सुरक्षित स्थान पर चले गए।

स्कूल की किताबें , जूते सब छूट गया
कक्षा 3 के छात्र ग्यारह वर्षीय कार्तिक कुमार ने कहा कि उनके स्कूल की सभी किताबें और जूते चले गए क्योंकि उनके घर में भारी दरारें आने के बाद उन्हें जल्दी से स्कूल छोड़ना पड़ा। हमारे पास पहनने के लिए कोई अतिरिक्त कपड़े नहीं हैं।

हमारा सब कुछ छूट गया
यहां मैत्रा में सामुदायिक हॉल के अंदर एक राहत शिविर में रहने वाली महिला अंजू देवी ने कहा कि सरकार को उनकी परेशानियों पर ध्यान देना चाहिए। हमारा सब कुछ छूट गया। हमें अपने बच्चों के भविष्य की चिंता है। हम किसान हैं लेकिन हमारे पास कुछ नहीं बचा है क्योंकि हमारी जमीन भी चली गई है।

पूर्व सांसद ने किया प्रभावित क्षेत्र का दौरा
पूर्व सांसद और उधमपुर-कठुआ सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी चौधरी लाल सिंह और एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज खान ने प्रभावित परनोट गांव का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। साथ ही प्रशासन से प्रत्येक प्रभावित परिवार को 10 लाख रुपये की राहत, नुकसान का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की अपील की है।

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