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उत्तराखंड

इस सीट पर पिता को हराकर रमाशंकर बने थे सांसद, अब बेटे से मिलेगी चुनौती; मायावती के खास को सपा ने दिया टिकट

रमाशंकर राजभर का राजनीतिक करियर 1991 में शुरू हुआ था। 2009 में रमाशंकर राजभर को पहली जीत मिली। बसपा के टिकट उन्होंने सपा से चुनाव लड़ रहे तत्कालीन सांसद हरिकेवल प्रसाद को हराया था। 

इसे संयोग ही कहा जाएगा कि रमाशंकर राजभर 2009 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन सांसद हरिकेवल प्रसाद को हरा कर पहली बार संसद में पहुंचे थे। अब जब सपा ने उन्हें सलेमपुर सीट से प्रत्याशी बनाया है तो उनके सामने चुनौती के रूप में स्व. हरिकेवल प्रसाद के बेटे वर्तमान भाजपा सांसद रविंद्र कुशवाहा होंगे। 

बसपा का भी इस सीट पर अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है। पार्टी से अभी प्रत्याशी का इंतजार है। देवरिया जनपद के शिवपुर निवासी बंगाली प्रसाद और अनारी देवी के पुत्र रमाशंकर राजभर का राजनीतिक करियर 1991 में शुरू हुआ था। 

उन्होंने विभिन्न दलों से देवरिया जनपद की रुद्रपुर विधानसभा से चार बार किस्मत आजमाई। हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली, लेकिन दूसरे नंबर पर रहकर उन्होंने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी। उन्होंने 1991 और 1993 में जनता दल, 1996 में बसपा और 2000 में निर्दल रुद्रपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रहे थे। 

2004 के चुनाव में उन्हें बसपा सलेमपुर सीट से प्रत्याशी बनाया था। मगर उन्हें जीत नसीब नहीं हुई। सपा के हरिकेवल प्रसाद ने जीत दर्ज की थी। 2009 में रमाशंकर राजभर को पहली जीत मिली। बसपा के टिकट उन्होंने सपा से चुनाव लड़ रहे तत्कालीन सांसद हरिकेवल प्रसाद को हराया था। 

जौनपुर: कभी मायावती के रहे खास, अब अखिलेश ने दिया टिकट
जौनपुर लोकसभा सीट पर रविवार को इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के नाम का एलान हो गया। सपा ने इस सीट पर जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है। यह सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। यह प्रदेश की पूर्व बसपा सरकार में सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार थे।

मालूम हो कि बाबू सिंह कुशवाहा बांदा जिले के पखरौली के रहने वाले हैं। वे 2007 में मायावती की सरकार में परिवार कल्याण मंत्री रहे। बाद में इनका नाम एनआरएचएम घोटाले में आने के बाद ये विवादों में घिरते चले गए। इनके ऊपर दो सीएमओ की हत्या कराने का भी आरोप लगा था। इनके 2014 में भाजपा में शामिल होने के कयास थे। 

पार्टी नेताओं के विरोध चलते यह शामिल नहीं हो सके। अंतत: इन्होंने जन अधिकार पार्टी बनाई। प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा से गठबंधन की बात चल रही थी लेकिन गठबंधन अंतिम मुकाम तक नहीं पहुंच सका। वर्तमान समय में यह जन अधिकार यात्रा प्रदेश के सभी जिलों में लेकर जा रहे हैं। जौनपुर संसदीय सीट पर कुशवाहा का सामना भाजपा के कृपाशंकर सिंह से होगा। हालांकि बसपा ने यहां अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। 

मछलीशहर : प्रिया को उतार सपा ने युवाओं और पीडीए दोनों को साधा
समाजवादी पार्टी ने लंबे इंतजार के बाद रविवार को जौनपुर और मछलीशहर लोकसभा सीट पर उम्मीदवार को नाम का एलान कर दिया। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर सपा ने सुप्रीम कोर्ट की युवा महिला अधिवक्ता प्रिया सरोज (25) को मैदान में उतारा है। प्रिया पूर्व सांसद व वर्तमान में केराकत से विधायक तूफानी सरोज की बेटी हैं। भाजपा के द्वारा बीपी सरोज को प्रत्याशी घोषित करने के बाद सपा ने भी सरोज बिरादरी की प्रिया को उम्मीदवार बनाया है।

मछलीशहर सीट पर पासी समाज के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। सपा ने अपने पुराने नेता तूफानी सरोज पर विश्वास जताते हुए उनकी बेटी प्रिया सरोज को चुनावी जंग में उतारा है। प्रिया की शिक्षा शुरू से ही दिल्ली में हुई है। दिल्ली के एयरफोर्स स्कूल से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक किया। नोएडा के एमईटी यूनिवर्सिटी से 2022 में लॉ की पढ़ाई पूरी की। अभी सुप्रीम कोर्ट में बतौर अधिवक्ता प्रैक्टिस कर रही हैं। प्रिया ने बताया कि वे शुरू से ही पिता के साथ राजनीति में सक्रिय रहीं हैं। 

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