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उत्तराखंड

धराली आपदा में लापता भाइयों का इंतजार करती रह गई बहनें, ऐसे निभाई रस्म, छलके आंसू

नौ अगस्त तो रक्षाबंधन का पर्व सभी ने धूमधाम से मनाया, लेकिन धराली आपदा के कारण कई भाइयों की कलाई सुनी रह गई। कई बहने भाइयों का इंतजार करती रह गई।धराली आपदा ने लोगों को ऐसा दर्द दिया कि उसे शायद ही वह लोग भूल पाएंगे। आपदा के चार दिन बाद आए रक्षाबंधन के त्योहार पर कई बहनें अपने लापता भाइयों का इंतजार करती रह गईं। तो कई भाई स्वयं ही राखी लेकर अपनी आपदा प्रभावित बहनों के पास धराली गांव पहुंचे।

उस समय इस पवित्र त्योहार की रस्म निभाते हुए भाई-बहनों की आंखों में आंसू थे। क्योंकि बहनें आपदा में अपना घर रोजगार सब खो चुकी हैं। पांच अगस्त को धराली में आई आपदा में धराली गांव के करीब छह युवा लापता हो गए हैं। उनमें से मात्र एक ही युवक का शव मिल पाया है।

आपदा के चार दिन बार आए भाई-बहन के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन पर इन लापता युवाओं की बहनें अपने भाइयों का इंतजार ही करती रह गईं। हर कोई पिछले रक्षाबंधन के लम्हों का याद कर बस यही दुआ कर रही थीं कि भगवान उनके आपदा में लापता भाइयों को कहीं से वापस ले आए।वहीं दूसरी ओर कई भाई राखी लेकर इस बार स्वयं ही उनके घर पहुंचे। मुखबा के खुशहाल सिंह नेगी धराली में आपदा प्रभावित बहनों ममता पंवार व सुनीता पंवार के घर पर राखी लेकर पहुंचे।इस दौरान उनकी आंखों में आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे क्योंकि बहन सुनीता आपदा में अपना घर, होमस्टे और गाय आदि खो चुके हैं।ममता पंवार भी आपदा के मंजर को याद कर भावुक हो रही हैं। बस भाई को यही खुशी थी कि इस मंजर में उनकी बहनें सुरक्षित हैं।पंचकुला में रहने वाली वंदना बताती हैं कि कल मेरी अपने भाई दुर्गेश पंवार से बात हुई तो उन्होंने कहा कि यहां पर खाने के लिए कुछ नहीं बचा। वह बार-बार यही कह रही थी कि जो राखी भाई के लिए भेजी थी, वह नहीं पहुंची। लेकिन बस यह सुकून है कि भाई और उसका परिवार सुरक्षित है।





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