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उत्तराखंड

 में छात्रा से दुष्कर्म मामले में शिक्षक- प्राचार्य दोषी करार, कुछ ही देर में कोर्ट में सुनवाई

राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान में छात्रा से दुष्कर्म के मामले में 18 अगस्त 2018 को जिला बाल कल्याण समिति की तरफ से शिक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आज कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी।

राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) में छात्रा से छेड़खानी और दुष्कर्म के मामले में संस्थान के शिक्षक सुचित नारंग और प्राचार्य डॉ अनुसूया शर्मा दोषी करार दिया गया है। स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट में 2018 के मामले की सुनवाई चल रही थी। आज कोर्ट में सजा पर सुनवाई होगी।

राजपुर रोड स्थित एनआईईपीवीडी (पूर्व में एनआईवीएच) में नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के आरोप के बाद बीते 18 अगस्त 2018 को जिला बाल कल्याण समिति की तरफ से राजपुर थाने में शिक्षक सुचित नारंग के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

क्या था पूरा मामला
मुकदमा दर्ज होने के बाद काफी समय तक अंडरग्राउंड रहे सुचित ने हाईकोर्ट से जमानत नहीं मिलने पर 25 सितंबर 2018 को कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। पुलिस ने जांच में पीड़ित छात्रा के बयान दर्ज किए तो सामने आया कि उसने मुकदमा दर्ज होने से करीब छह महीने पहले संस्थान की प्राचार्य और उपप्रचार्या से भी इसकी शिकायत की थी।

शिकायत पर कार्रवाई की बजाय संस्थान के अधिकारियों ने उसे दबाने की कोशिश की। पीड़िता के बयान के आधार पर मुकदमे की विवेचक विनीता चौहान ने एनआईईपीवीडी की तत्कालीन निदेशक अनुराधा डालमिया, प्राचार्य डॉ. अनुसुया शर्मा, संस्थान कर्मचारी तेजी और लखनऊ के जिस आश्रम से पीड़ित छात्रा को एनआईईपीवीडी में पढ़ाई के लिए भेजा था, उसकी संचालिका पूर्णिमा को भी आरोपी बनाया है।

लखनऊ की आश्रम संचालिका पर सुचित के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद पीड़िता पर बयान बदलने के लिए दबाव बनाने का आरोप है। एसओ राजपुर अरविंद सिंह ने बताया कि इनमें सुचित के खिलाफ  दुष्कर्म व पोक्सो और अन्य के खिलाफ  पोक्सो और आपराधिक षड्यंत्र व साक्ष्य छुपाने की धाराओं में चार्ज लगाए गए थे ।

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