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उत्तराखंड

रामेश्वर को मिला नया जीवन मिला….एम्स में पित्त की थैली के कैंसर की हुई सफल रोबोटिक सर्जरी

36 वर्षीय रामेश्वर की पित्त की थैली से लिवर तक कैंसर फैल चुका था। सर्जरी के बाद रामेश्वर को मिला नया जीवन मिला।एम्स के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने रोबोट तकनीक से एक ऐसे मरीज की सफल सर्जरी की है जिसकी पित्त की थैली में कैंसर था। चीरे के माध्यम से सर्जरी करना जोखिम भरा था। रोबोट सर्जरी के बाद मरीज स्वस्थ है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

टिहरी जनपद के मुनि की रेती निवासी 36 वर्षीय रामेश्वर प्रसाद देवली लंबे समय से पेट दर्द से परेशान था। उन्होंने कई निजी अस्पतालों में दिखाया, लेकिन कोई आराम नहीं मिला। एम्स के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ओपीडी में दिखाने पर उन्हें पता चला कि उनकी पित्त की थैली में कैंसर बन गया है और लिवर तक फैल चुका है।

कैंसर का आकार बड़ा होने के कारण उन्हें पहले मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में कीमोथेरेपी के लिए भेजा गया। कीमो के बाद दूसरी जांच में तय किया गया कि बीमारी के निदान के लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है। सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलाॅजी विभाग के हेड डाॅ. निर्झर राकेश ने बताया कि पित्त की थैली के कैंसर का ऑपरेशन खुले चीरे से करना जटिल होता है। इसलिए यह ऑपरेशन रोबोट तकनीक से किया गया। लगभग पांच घंटे तक चली जटिल सर्जरी 22 दिसंबर को की गई। सर्जरी के बाद ठीक हो गया और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

समय रहते मिल गया इलाज
टीम के सदस्य और सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलाॅजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लोकेश अरोड़ा ने बताया कि पित्त के कैंसर का समय रहते इलाज नहीं होने पर बीमारी शरीर के अन्य भागों में भी फैल जाती है। सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. निर्झर राज राकेश, डॉ. लोकेश अरोड़ा, डॉ. सुनीता सुमन, डॉ. मिथुन, डॉ. नीरज यादव, एनेस्थीसिया विभाग से डाॅ. अंकित अग्रवाल, डाॅ. अरुण और डाॅ. अरहान शामिल रहे। जबकि रितेश, मनीष व सुरेश आदि नर्सिंग ऑफिसर्स का विशेष सहयोग रहा।

पेट रोगियों के लिए इस दिन चलती है ओपीडी
एम्स में पेट रोग से संबंधित समस्या वाले रोगियों के लिए प्रत्येक मंगलवार, बृहस्पतिवार और शनिवार को गैस्ट्रो सर्जिकल ओपीडी नियमित तौर पर सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक संचालित होती है।

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