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उत्तराखंड

उत्तराखंड के 1149 प्राथमिक स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं, पलायन आयोग ने सरकार को सौंपी सर्वे रिपोर्ट

रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि प्रदेश के 1149 प्राथमिक स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। चंपावत व रुद्रप्रयाग जिले के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों की संख्या सबसे कम है।

ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग ने पहली बार प्रदेश के प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा में सुधार के लिए सर्वे रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंप दी है। आयोग ने रिपोर्ट में पर्वतीय क्षेत्रों के प्राथमिक विद्यालयों में लगातार घट रही बच्चों की संख्या और अध्यापकों की कमी पर चिंता जताते हुए सुधार के लिए सरकार को सुझाव दिए हैं। रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि प्रदेश के 1149 प्राथमिक स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। चंपावत व रुद्रप्रयाग जिले के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों की संख्या सबसे कम है।

पलायन आयोग की 204 पेज की सर्वे रिपोर्ट में पर्वतीय क्षेत्राें के प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में स्कूली बच्चों व अध्यापकों की संख्या के अंतर का खुलासा किया है। प्रदेश में 12065 प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें 50 प्रतिशत स्कूलों में प्रधानाध्यापक नहीं है। इसके अलावा प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की घट रही संख्या का मुख्य कारण अध्यापकों की तैनाती न होना है।

प्राथमिक से माध्यमिक स्तर के 263 विद्यालयों में छात्रों को पढ़ाने के लिए अध्यापक नहीं है। इसमें 1 से 5 और 6 से 8 तक की कक्षाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि प्राथमिक से उच्च प्राथमिक स्तर के 180 विद्यालय ऐसे हैं, जहां 242 शिक्षक मात्र एक-एक छात्र को पढ़ा रहे हैं। ऐसे स्कूलों की संख्या पौड़ी, अल्मोड़ा व टिहरी जिला में अधिक है।

3504 विद्यालयों में एकल अध्यापक की तैनाती
प्रदेश में 3504 विद्यालयों में छात्रों को पढ़ाने के लिए एक अध्यापक तैनात है। इसमें पिथौरागढ़, पौड़ी, चमोली जिले में सबसे अधिक स्कूल हैं। इसके अलावा प्राथमिक से माध्यमिक स्तर की 8324 कक्षाओं में एकल छात्र संख्या है।

आयोग ने ये दिए सुझाव
पलायन आयोग ने सरकार को सुझाव दिया कि पर्वतीय क्षेत्रों के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को उच्च शिक्षा में प्रवेश के समय अतिरिक्त छूट दी जाए। शिक्षकों की उपलब्धता के लिए शिक्षा विभाग में अलग से स्थानांतरण नीति बनाई जाए। शिक्षकों को विद्यालय से 8 से 10 किमी. रहने की अनिवार्यता, ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात शिक्षकों को विशेष प्रोत्साहन के तौर पर 25 प्रतिशत वेतन वृद्धि व अन्य सुविधा दी जाए।

नए शिक्षकों को प्रशिक्षण की अनिवार्यता, शिक्षकों को विद्यालय के समीप आवास की सुविधा, गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्त रखना, स्कूलों में प्रयोगशाला, शौचालय, खेल मैदान, चारदीवारी की सुविधा समेत कई सुझाव दिए हैं।

आयोग ने प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों की सर्वे रिपोर्ट सरकार को सौंपी दी है। आयोग ने पर्वतीय क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालयों में तत्काल सुधार करने का सुझाव दिया है। 1 से 5 कक्षा तक बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है, जो चिंता का विषय है। 

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