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उत्तराखंड

डायबिटीज, वायरल को दूर भगाओ, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाओ, कुमाऊं विवि का पढ़ें ये शोध

कुमाऊं विवि ने उत्तराखंड में पारंपरिक पुष्प एवं जड़ी-बूटियों से औषधीय हर्बल चाय का विकास विषय पर शोध किया है। 28 जड़ी-बूटियों की मदद से हर्बल टी बनाई जा रही है।

अब चाय पीकर आप अपने डायबिटीज और वायरल को दूर भगा सकते हैं। वहीं, रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ा सकते हैं। कुमाऊं विवि वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च योजना के तहत 30 से अधिक पुष्प और जड़ी-बूटियों से हर्बल चाय तैयार कर रहा है।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) के समक्ष बृहस्पतिवार को कुमाऊं विवि नैनीताल के कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत ने राजभवन में ‘वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च’ कार्यक्रम के तहत चल रहे शोध कार्य की प्रगति पर प्रस्तुतिकरण दिया। कुमाऊं विवि ने उत्तराखंड में पारंपरिक पुष्प एवं जड़ी-बूटियों से औषधीय हर्बल चाय का विकास विषय पर शोध किया है।

प्रो. रावत ने शोध के उद्देश्य और प्रमुख निष्कर्षों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस शोध का उद्देश्य राज्य के पारंपरिक पुष्प एवं जड़ी-बूटियों से तैयार हर्बल टी को वैज्ञानिक परीक्षणों से प्रमाणित करना है, जिससे इसकी औषधीय गुणवत्ता सिद्ध हो सके। उन्होंने बताया कि इस शोध के तहत 30 से अधिक पारंपरिक पुष्प एवं जड़ी-बूटियों के तहत तीन प्रमुख श्रेणियों की हर्बल टी विकसित की जा रही है। जिनमें एंटी-डायबिटिक टी, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चाय और एंटी-वायरल हर्बल चाय शामिल है।

बायोपायरेसी को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी
प्रो. रावत ने बताया कि कोविड-19 के बाद हर्बल उत्पादों की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के पारंपरिक पुष्प एवं जड़ी-बूटियां दुर्लभ और औषधीय गुणों से भरपूर हैं, जो अभी भी व्यापक रूप से उपयोग में नहीं आ पाई हैं। प्रस्तुतिकरण में वैज्ञानिक प्रामाणिकता और डीएनए बारकोडिंग तकनीक के बारे में बताया गया, जिससे जड़ी-बूटियों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने, मिलावट को रोकने और जैव चोरी (बायोपायरेसी) को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।

उत्तराखंड में नए अवसर तैयार करेगी यह चाय

राज्यपाल ने शोध की सराहना करते हुए कहा कि यह उत्तराखंड की समृद्ध औषधीय परंपरा को वैज्ञानिक आधार प्रदान करेगी। सतत विकास को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन का लाभ स्थानीय समुदायों तक पहुंचना चाहिए। जिससे किसानों और उद्यमियों को आर्थिकी बढ़ाने के अवसर मिल सकें। उन्होंने राज्य की औषधीय जड़ी-बूटियों को वैश्विक पहचान दिलाने और वैज्ञानिक अनुसंधान को व्यावसायिक रूप देने के लिए संस्थानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। राज्यपाल ने कहा कि इस शोध से राज्य के युवाओं को जैव प्रौद्योगिकी और हर्बल उत्पाद से विकास के क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे। इस अवसर पर अपर सचिव स्वाति एस भदौरिया, जैव प्रौद्योगिकी विभाग कुमाऊं विवि के विभागाध्यक्ष प्रो. संतोष के उपाध्याय उपस्थित रहे।

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