भजन सम्राट के साथ सुर मिलाने पहुंचे जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज
देर शाम शुरू हुए भजन संध्या कार्यक्रम में भजन सम्राट के सुर में सुर मिलाने पहुंचे जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने तो समूचे पंडाल को निहाल कर दिया।
भजन सम्राट अनूप जलोटा के सुमधुर स्वर में भजनों की शानदार प्रस्तुति और रंग बिरंगी रोशनी से सराबोर कनखल स्थित जगद्गुरु आश्रम की भव्यता देखने बृहस्पतिवार को भारी भीड़ जुटी। देर शाम शुरू हुए भजन संध्या कार्यक्रम में भजन सम्राट के सुर में सुर मिलाने पहुंचे जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने तो समूचे पंडाल को निहाल कर दिया। उन्होंने जब अलाप लिया तो समूचा पंडाल तालियों से गूंज उठा। राजनेता, बड़े औद्योगिक घरानों से आए लोगों ने हर-हर महादेव की उद्घोष के साथ कार्यक्रम का जमकर आनंद उठाया।
बता दें कि कनखल स्थित जगद्गुरु आश्रम में चातुर्मास के समापन अवसर पर भजन संध्या का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें राज्यभर के कई राजनीतिक दलों के नेता और मंत्री शामिल हुए। वहीं देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक घरानों के लोगों ने भी भजन संध्या में पहुंचकर जगद्गुरु का आशीर्वाद प्राप्त किया। पांडाल में मौजूद संत समागम के बीच प्रख्यात भजन गायक अनूप जलोटा ने अपनी प्रस्तुति से समां बांधा।
अपने चिर परिचित अंदाज में उन्होंने एक चदरिया झीनी रे झीनी की प्रस्तुति दी तो लोगों ने उनका तालियाें से स्वागत किया। सामने बैठे आचार्य, महामंडलेश्वर और कई अखाड़ों से आए संतों ने भजन सम्राट के सुमधुर स्वर में भजन का आनंद उठाया। एक से एक भजनों की प्रस्तुति दी। ‘ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन’… ‘श्याम पिया मोहे रंग दे चुंदरिया’… ‘गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो’… आदि भजनों से उन्होंने ऐसा भक्ति का रंग चढ़ाया कि जो भी पांडाल में पहुंचा कार्यक्रम समापन तक नहीं उठा। समूचा पांडाल भगवा रंग में रंगा समूचा पांडाल और तालियों की गड़गड़ाहट के बीच माहौल गूंज उठा।
जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने भी आस्था में डूबे लोगों को निर्गुण भक्ति की धारा में गोता लगवाया। उन्होंने साज और बाज के बीच कबीर की निर्गुण काव्य धारा से भजन प्रस्तुत किया। साथ में भजन सम्राट अनूप जलोटा ने भी सुर में सुर मिलाया।
जगदगुरु शंकराचार्य ने भजन के बीच आस्था और ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जो आनंद ईश्वर के भजन में है वह किसी और साधन से नहीं मिलता है। उन्होंने रंग में रंगने और रमने के साथ ही भजन की खूबसूरत व्याख्या भी की। कहा कि जो भक्ति की भावना में लीन होकर ईश्वर को याद करता है उसकी मस्ती के आगे सारी राजसत्ता बेकार साबित होती है।